उत्तरकाशी में पिछले 5 दिनों से 40 मजदूरों की जिंदगी एक टनल के 150 मी हिस्से में सिमट गई है। जी हां उत्तरकाशी के सिल्कयारा टनल में फंसे 40 मजदूर बीते कुछ दिनों से सूरज की किरण तो नहीं देख पाए लेकिन टनल से बाहर आने के लिए जरूर आशा की किरण खोज पा रहे होंगे और कहीं ना कहीं अस्वस्थ होंगे कि ईश्वर उनको जल्दी इस परिस्थिति से बाहर निकलेंगे। आपको बता दें रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए भारतीय सेवा के दो विमान दिल्ली से मशीन एयरलिफ्ट कर उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर उतरे और रेस्क्यू ऑपरेशन में इन आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाएगा। गौरतलब है कि ऑल वेदर रोड के तहत ब्रह्म कल गंगोत्री नेशनल हाईवे पर टनल का निर्माण हो रहा था और टनल में भू दशाव के चलते 40 मजदूर टनल में ही फंस गए थे। इस हादसा के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भी मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने अधिकारियों को जल्द से जल्द टनल में फंसे श्रमिकों को निकालने का आदेश दिया था।
क्या देवता के प्रकोप से टूटी टनल ?
कहते हैं उत्तराखंड में कंड़-कंड़ में देवों का वास है, उत्तरकाशी टनल हादसे में एक नया एंगल भी सामने आ रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो यह देवता का प्रकोप है। एक स्थानीय निवासी धर्मवीर रमोला के मुताबिक जब टनल का काम शुरू हुआ था उससे पहले टनल के मुहाने पर स्थानीय मान्यताओं को तवज्जो देते हुए उनका मान सम्मान करते हुए छोटा मंदिर बनाया गया था जिसको टनल निर्माण में लगी कंपनी के नए मैनेजमेंट ने तोड़ दिया इसके बाद स्थानीय देवता ने अपना प्रकोप दिखाए है। जबकि स्थानीय लोगों के द्वारा निर्माण अधीन कंपनी को मंदिर न तोड़ने की सलाह दी गई थी और दूसरे जगह पर निर्माण के लिए कहा था लेकिन उनके द्वारा स्थानीय लोगों की मान्यताओं को अंधभक्ती बताकर अनदेखा कर दिया गया। जबकि स्थानीय देवता बौखनाग पुजारी गणेश प्रसाद बिजलवान के मुताबिक उत्तराखंड देवभूमि है और यहां पर जब कभी भी किसी पुल का या किसी ने इमारत का निर्माण होता है तो वहां के स्थानीय देवी देवताओं को प्रसन्न रखने के लिए छोटा मंदिर बनाया जाता है। लेकिन निर्माण अधीन कंपनी ने स्थानीय मान्यताओं को अनदेखा करते हुए मंदिर को तोड़ा। यहां पर नए मंदिर का निर्माण होना चाहिए जिससे स्थानीय देवता प्रसन्न हो जाएंगे और टनल में फंसे सभी मजदूर सकुशल बाहर आ जाएंगे।
मजदूरों की सकुशलता के लिए पूजा करते पुजारी।