सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि गवर्नर किसी विधेयक को अनिश्चितकाल तक बिना किसी कार्रवाई के लंबित नहीं रख सकते हैं। इस फैसले से राज्यपालों की शक्तियों को सीमित करने और विधायिका की शक्तियों को बढ़ाने की उम्मीद है।

यह मामला तब आया जब तमिलनाडु के गवर्नर ने एक विधेयक पर सात साल तक कोई कार्रवाई नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवर्नर के पास विधेयक पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए एक उचित समय सीमा होनी चाहिए। यदि गवर्नर इस समय सीमा के भीतर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तो विधेयक को स्वीकृत माना जाएगा।

यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्यपालों की शक्तियों को सीमित करने में मदद करेगा। गवर्नर अक्सर विधेयकों को लंबित रखते हैं ताकि वह उन पर राजनीतिक लाभ उठा सकें। इस फैसले से राज्यपालों को ऐसा करने से रोका जा सकेगा।

इस फैसले से विधायिका की शक्तियों को भी बढ़ाने की उम्मीद है। विधायिका अब गवर्नरों के हस्तक्षेप के बिना विधेयकों को पारित कर सकेगी। इससे विधायिका को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और वह बेहतर काम कर सकेगी।

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