भारत सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद हुआ समझौता

मणिपुर का सबसे पुराना विद्रोही संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने मंगलवार को भारत सरकार के साथ एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौते पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूएनएलएफ के शीर्ष नेता एन. विरेंद्र ने केंद्रीय गृह मंत्रालय में हुए एक समारोह में हस्ताक्षर किए।

शांति समझौते से मणिपुर में शांति की उम्मीद

शाह ने इस समझौते को मणिपुर के इतिहास में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि इससे राज्य में शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने कहा कि इस समझौते से राज्य के लोगों को शांति और समृद्धि मिलेगी।

यूएनएलएफ के नेता एन. विरेंद्र ने भी इस समझौते का स्वागत किया और कहा कि इससे मणिपुर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का रास्ता साफ होगा।

उन्होंने कहा कि यूएनएलएफ अब हिंसा का रास्ता छोड़ देगा और शांतिपूर्ण तरीके से अपने लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास करेगा।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी इस समझौते का स्वागत किया और कहा कि इससे राज्य में शांति बहाल करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए हर संभव सहयोग करेगी।

UNLF का गठन 1964 में हुआ था

यूएनएलएफ की स्थापना 1964 में मणिपुर में एक संप्रभु मणिपुर स्थापित करने के लिए की गई थी।

संगठन ने पिछले कई दशकों में भारत सरकार के साथ शांति वार्ता की कई कोशिशें की थीं, लेकिन ये प्रयास असफल रहे थे।

हालांकि, हाल के वर्षों में यूएनएलएफ और सरकार के बीच बातचीत फिर से शुरू हुई थी और दोनों पक्षों के बीच शांति समझौते पर सहमति हुई थी।

इस समझौते के तहत यूएनएलएफ अपने हथियार छोड़ देगा और सरकार के साथ शांतिपूर्ण तरीके से अपने लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास करेगा।

सरकार भी यूएनएलएफ के सदस्यों को पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए सहायता प्रदान करेगी।

इस समझौते से मणिपुर में शांति स्थापित करने और राज्य में विकास का मार्ग प्रशस्त करने की उम्मीद है।

यह समझौता मणिपुर के लोगों के लिए एक बड़ी राहत है और राज्य के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल आशा है।

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