वाराणसी: आज, 17 दिसंबर 2023 को पवित्र वाराणसी के नमो घाट पर एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला, जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने काशी-तमिल संगमम के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। आठ दिवसीय यह सांस्कृतिक उत्सव भारत के दो प्राचीनतम और समृद्ध संस्कृतियों, काशी और तमिलनाडु के बीच कला, विद्या और आध्यात्म के विनिमय का एक अनूठा मंच बनेगा।

संस्कृति का संगम:

इस साल 15 दिसंबर को चेन्नई से तमिल प्रतिनिधियों का एक दल रवाना हुआ था, जो आज समारोह में उत्साहपूर्वक शामिल हुआ। आगामी 13 दिनों में, संगमम के विभिन्न कार्यक्रमों में कलाकारों, विद्वानों, लेखकों और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों के बीच ज्ञान आदान-प्रदान का आकर्षक सिलसिला चलेगा। शास्त्रीय नृत्य और संगीत प्रस्तुतियों, व्याख्यानों, कार्यशालाओं और सांस्कृतिक जुलूसों के माध्यम से दोनों संस्कृतियों की जीवंतता को प्रदर्शित किया जाएगा।

अध्यात्म की गहराई:

काशी और तमिलनाडु दोनों ही अध्यात्मिकता के केंद्र हैं।

इसी आध्यात्मिक भावना को बनाए रखते हुए, आयोजकों ने मंदिरों के दर्शन, योग सत्रों और धार्मिक प्रवचनों को कार्यक्रम में शामिल किया है। प्रतिभागी पवित्र गंगा नदी में स्नान भी कर सकते हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं।

प्रधानमंत्री का संदेश:

उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को देश की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि काशी-तमिल संगमम जैसे कार्यक्रम देश के एकता और अखंडता को मजबूत करते हैं।

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह आयोजन दोनों संस्कृतियों के युवाओं के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देगा।

30 दिसंबर तक चलेगा कार्यक्रम:

काशी-तमिल संगमम का यह दूसरा संस्करण 30 दिसंबर तक चलेगा।

इन 13 दिनों में प्रतिभागी वाराणसी की प्राचीनता और आध्यात्मिकता का अनुभव करेंगे, साथ ही तमिल संस्कृति की समृद्धि से रूबरू होंगे। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का माध्यम है, बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास और विरासत को जीवंत रखने का प्रयास भी है।

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