- मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की बैठक में कई अहम प्रस्ताव पारित किए गए।
- बैठक में पचास से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
- बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की टीम राज्य आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों और उत्तराखंड की महान विभूतियों के गांव जाकर उनके आंगन की मिट्टी को कलश में एकत्रित कर शहीद स्मारक लाएगी।
- इसके अलावा ड्राफ्टिंग कमेटी, प्रचार-प्रसार समिति और वित्त नियंत्रण कमेटी के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया।
- संगठन को मजबूत करने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटियों का गठन करने पर सहमति बनी।
- इसके साथ ही 15 जनवरी को बागेश्वर के सरयू नदी में स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रवाहित किये जायेंगे।
- इसके साथ ही भू कानून की प्रतियां फाड़ी जायेंगी और इन्हें भी सरयू नदी में प्रवाहित किया जाएगा।
- इसके बाद 28 जनवरी को हल्द्वानी में एक विशाल मूल निवास स्वाभिमान महारैली करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
- इसके साथ ही वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष नेगी द्वारा अंकिता हत्याकांड को प्रखर रूप से उठाये जाने पर सरकार द्वारा उनका उत्पीड़न किये जाने का समिति ने घोर भर्त्सना की और निंदा प्रस्ताव पारित किया।
- बैठक में भू कानून के ड्राफ्ट में चकबंदी के प्रावधान को भी शामिल करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ।
बैठक में प्रमुख वक्ताओं के विचार:
- मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि लड़ाई लंबी है। हमें आपस में नहीं व्यवस्था के खिलाफ लड़ना है। हरेक व्यक्ति को मूल निवास और सशक्त भू कानून के आंदोलन से जोड़ना है।
- संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि युवाओं और महिलाओं को आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में भी लोगों से संपर्क कर आंदोलन को गति दी जा रही है।
- पहाड़ी स्वाभिमान सेना के संरक्षक आशुतोष नेगी ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को मूल निवास का सबसे अधिक लाभ मिलेगा। उनके हक को भी बाहर के लोग मार रहे हैं।
- कृषक बागवान उद्यमी संगठन के महामंत्री दीपक करगेती एवं समन्वय समिति के सदस्य दीपक ढोंडियाल ने चकबंदी लागू करने पर जोर दिया और कहा कि जमीन प्रबंधन के मिसमैनेजमेंट से आम लोगों को नुकसान हो रहा है।
- गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी विश्वेश्वर दत्त बौठियाल, वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और अन्य तरह के सभी संसाधनों पर मूल निवासियों का पहला हक होना चाहिए। सीमांत गांवों का खाली होना सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है।
- ऑटो यूनियन के महामंत्री मानिन्द्र बिष्ट, गौरव सेनानी के अध्यक्ष महावीर राणा, सेवानिवृत्त कर्मचारी आरआर पैन्यूली, चारधाम महापंचायत से रजनीकांत सेमवाल, धाद संस्था से अर्चना ग्वाड़ी, राज्य आन्दोलनकारी जयदीप सकलानी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बहाने इस आन्दोलन को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। इन्वेस्टमेंट के नाम पर सिर्फ एमओयू साइन हो रहे हैं। स्थानीय लोगों को कहीं कोई रोजगार नहीं मिल रहा।
- वरिष्ठ आन्दोलनकारी नवनीत गुसाईं, महिला मंच से निर्मला बिष्ट, क्रांति कुकरेती, राज्य आन्दोलनकारी मनीज ध्यानी, सरिता जुयाल, राज्य आन्दोलनकारी महेश गौड़, भैरव सेना के अध्यक्ष संदीप खत्री ने कहा कि आपसी मतभेद भुलाकर सभी को इस लड़ाई में भाग लेना चाहिए।