भारतीय रिजर्व बैंक के उप गवर्नर पत्रा का कार्यकाल एक साल बढ़ा, नीतिगत निरंतरता को बल मिला

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर डॉ. माइकल देबाब्रता पत्रा का कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया गया है। सरकार ने शुक्रवार को कैबिनेट की नियुक्ति समिति के फैसले के तहत यह घोषणा की। पत्रा अब 15 जनवरी 2025 तक अपने पद पर बने रहेंगे।

पत्रा को पहली बार जनवरी 2020 में डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका शुरुआती कार्यकाल तीन साल का था, जिसे जनवरी 2023 में एक साल के लिए बढ़ाया गया था।अब सरकार ने उनके कार्यकाल को एक और साल बढ़ा दिया है।

पत्रा का आरबीआई में 1985 से ही लंबा और सफल करियर रहा है। वह मौद्रिक नीति विभाग, वित्तीय बाजार संचालन विभाग, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, वित्तीय स्थिरता विभाग और आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों का संचालन करते हैं. वह भारत की ब्याज दर निर्धारण मौद्रिक नीति समिति के सदस्य भी हैं।

पत्रा के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला नीतिगत निरंतरता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। वर्तमान में वैश्विक बाजार में अस्थिरता है और भारत मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहा है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि पत्रा का अनुभव और विशेषज्ञता आरबीआई को इन चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी.

पत्रा के कार्यकाल को बढ़ाने के फैसले पर विभिन्न विशेषज्ञों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि कुछ ने सरकार पर अनुभवहीन युवा प्रतिभाओं को मौका न देने का आरोप लगाया है। हालांकि, सभी सहमत हैं कि पत्रा एक अनुभवी और कुशल अधिकारी हैं और उनका आरबीआई में महत्वपूर्ण योगदान है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि पत्रा अपने विस्तारित कार्यकाल में किन नीतियों को आगे बढ़ाते हैं और आरबीआई को आर्थिक चुनौतियों से कैसे निपटने में मदद करते हैं।

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