
अयोध्या धाम आज हर्षोन्माद से झूम रहा है! दशकों के इंतजार के बाद राम लला की मूर्ति को अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर दिया गया है। यह पवित्र क्षण भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है, जिसने सदियों से चले आ रहे धार्मिक और राजनीतिक विवाद को विराम देते हुए आस्था एवं सौहार्द का नया अध्याय शुरू किया है।
भगवान राम के बाल स्वरूप राम लला की 51 इंच ऊँची काले पत्थर की मनमोहक मूर्ति को पूरे विधि-विधान के साथ गर्भगृह में स्थापित किया गया। यज्ञ, मंत्रोच्चार और भक्तों के जयकारों के बीच सम्पन्न हुए इस पवित्र अनुष्ठान में देश के सर्वोच्च नेताओं, धर्मगुरुओं और विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही।
अयोध्या राम मंदिर का निर्माण आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बाद का सबसे बड़ा जन आंदोलन रहा है। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के पश्चात देश को झकझोरने वाले तनावपूर्ण माहौल के बाद अब यह ऐतिहासिक क्षण रामभक्तों के लिए अश्रुपूर्ण आनंद और विजय का प्रतीक बन गया है। मंदिर निर्माण के लिए समर्पित अथक प्रयासों, त्यागों और बलिदानों को आज मूर्ति-प्रतिष्ठान के रूप में परिपूर्णता मिली है।
हालांकि, यह क्षण केवल हिन्दू समुदाय के उत्सव का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सौहार्द का भी संदेश देता है। राम लला के गर्भगृह में विराजमान होने से धार्मिक मतभेदों पर विराम लगाने और सामाजिक समरसता की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
अयोध्या राम मंदिर का निर्माण अब केवल भव्य मंदिर का स्वरूप नहीं रह गया है, बल्कि यह राम के आदर्शों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान है। राम लला के चरणों में सत्य, न्याय, करुणा और समर्पण जैसे मानवीय मूल्यों को स्थापित कर भारत को रामराज्य के सपने को साकार करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
इस ऐतिहासिक घटना के माध्यम से देशवासियों को यह संदेश देना चाहिए कि विवादों का हल शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जा सकता है और मतभेदों के बावजूद सभी धर्मों का सम्मान और सहअस्तित्व संभव है। राम लला के आशीर्वाद के साथ आइए, मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जो मानवता, भाईचारे और राम के आदर्शों पर आधारित हो।