किर्गिस्तान और चीन की सीमा पर मंगलवार की सुबह तड़के एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (जीएफजेड) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 7.1 थी और इसकी गहराई 10 किलोमीटर (6.21 मील) थी। हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने या बड़े पैमाने पर नुकसान की कोई खबर नहीं है।
भूकंप का केंद्र किर्गिस्तान के अक्षीय में लगभग 140 किलोमीटर पश्चिम में बताया जा रहा है। झटका इतना तेज था कि आसपास के देशों तक महसूस किया गया, यहां तक कि भारत की राजधानी नई दिल्ली में भी इसका हल्का कंपन महसूस किया गया। भूकंप के बाद कई कम तीव्रता के कंपन (आफ्टरशॉक्स) भी आए हैं, जिसमें से दो 5 तीव्रता से अधिक के बताए जा रहे हैं।
किर्गिस्तान और चीन दोनों के अधिकारी स्थिति का जायजा ले रहे हैं और बचाव प्रयासों को शुरू कर रहे हैं। इस क्षेत्र में भूकंप आने की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी, क्योंकि यह भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है। हालांकि, इस भूकंप की तीव्रता और गहराई ने सभी को चौंका दिया है।
भूकंप की वजह से पहाड़ों में भूस्खलन और बिजली आपूर्ति बाधित होने की संभावना है। साथ ही संचार लाइनों के टूटने और इमारतों को नुकसान की भी आशंका है। आने वाले दिनों में बचाव दल भूकंप प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने और राहत कार्य शुरू करने का प्रयास करेंगे।
किर्गिस्तान और चीन की सरकारों ने भूकंप से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है। उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस कठिन समय में इन देशों की सहायता करेगा।
यह भूकंप एक बार फिर से इस बात को रेखांकित करता है कि प्राकृतिक आपदाएं किसी भी समय, किसी भी स्थान पर आ सकती हैं। हमें ऐसे आपदाओं के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए और जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू करना चाहिए।