देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में एक समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए विधेयक विधानसभा में पेश किया है। यह विधेयक यदि पारित हो जाता है तो उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां यह कानून लागू होगा।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
- सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, संपत्ति के अधिकार और दत्तक ग्रहण जैसे मामलों में एक समान कानून का प्रस्ताव।
- सभी धर्मों के व्यक्तियों के लिए शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल निर्धारित करना।
- लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता प्रदान करना, लेकिन ऐसे रिश्तों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराना होगा। पंजीकरण नहीं कराने पर छह महीने तक की जेल या 25 हजार रुपये जुर्माना या दोनों का प्रावधान।
- बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना।
- महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रावधान शामिल करना।
प्रतिक्रियाएं:
इस विधेयक को लेकर अलग-अलग समुदायों और राजनीतिक दलों में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं।
- भाजपा सरकार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विधेयक को “एक ऐतिहासिक कदम” बताया है जो राज्य में समानता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेगा।
- विपक्ष दल: कांग्रेस ने इस विधेयक को “धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला” करार दिया है और आशंका जताई है कि यह सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ सकता है।
- समाजिक संगठन: कुछ महिला संगठनों ने विधेयक में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए किए गए प्रावधानों का स्वागत किया है, जबकि कुछ धार्मिक संगठनों ने इस पर चिंता जताई है।
विधेयक का भविष्य:
विधेयक को विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसके बाद ही यह कानून बन सकेगा। विधेयक पर आगामी बहस और पारित होने की संभावनाओं पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु:
- गोवा में पहले से ही एक समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन यह पुर्तगाली शासन से विरासत में मिली है।
- भारत के संविधान में समान नागरिक संहिता को एक नीति निर्देशक तत्व के रूप में शामिल किया गया है।
- समान नागरिक संहिता को लेकर देश में लंबे समय से बहस चल रही है।