"'कुछ इनकार करने को नहीं बचा': भारत रत्न सम्मान के बाद जयंत चौधरी ने भाजपा से समझौता किया"

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से नाता तोड़कर भाजपा से गठबंधन करने के चौधरी जयंत के फैसले से राजनीतिक गलियारों में हलचल मची है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद इस फैसले को काफी अहमियत दी जा रही है। मीडिया से बात करते हुए, चौधरी जयंत ने कई दिलचस्प बातें शेयर कीं।राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से नाता तोड़कर भाजपा से गठबंधन करने के चौधरी जयंत के फैसले से राजनीतिक गलियारों में हलचल मची है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के

जयंत चौधरी बोले- इनकार की गुंजाइश नहीं थी

“मेरे दादा को भारत रत्न मिलने के बाद मुझे भाजपा के प्रस्ताव को ठुकराने का कोई ठोस कारण नहीं मिला। इस सम्मान से उनके काम की पहचान हुई है और उनके योगदान को सराहा गया है। इसे देखते हुए, मना करना न तो मुमकिन था और न ही सही होता।”

भाजपा के साथ गठबंधन पर बोले चौधरी:

“हम अपने क्षेत्र के कल्याण के लिए ही फैसले लेते हैं। भाजपा के साथ गठबंधन से हमें लगता है कि किसानों और पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर हम बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। हम अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करेंगे, लेकिन लोगों के हितों के लिए सहयोग करने में कोई बुराई नहीं है।”

विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं:

विपक्षी दलों ने इस फैसले को “सत्ता के लिए सिद्धांतों का त्याग” बताया है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, “यह बहुत ही निराशाजनक है कि चौधरी जयंत ने अपने दादा की विरासत को भुला दिया। ये सिर्फ सत्ता हासिल करने का हथकंडा है।”

आगे क्या?

चौधरी जयंत के फैसले से आगामी लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का समीकरण काफी बदल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किसान और अन्य समुदाय इस फैसले पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और इसका भाजपा-RLD गठबंधन के प्रदर्शन पर क्या असर पड़ता है।

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