तमिलनाडु कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सुर्खियों में बने हैं के सेल्वा पेरुंथगई। पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से:

तमिलनाडु कांग्रेस में नया अध्याय: क्या सेल्वा पेरुंथगई ला पाएंगे नई ऊर्जा?

कौन हैं के सेल्वा पेरुंथगई?

पेरुंथगई दक्षिण भारत के दिग्गज राजनेता एस रामचंद्रन के बेटे हैं। वे 2001 से सक्रिय राजनीति में हैं और विधायक, सांसद और मंत्री जैसे पदों पर रह चुके हैं। 2016 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर डीएमके जॉइन कर लिया था, मगर 2021 में वापस कांग्रेस में लौट आए। उनकी कार्यशैली को कम आवाज और मीडिया से दूरी के लिए जाना जाता है।

नियुक्ति पर क्यों उठ रहे सवाल?

पेरुंथगई की नियुक्ति पर कई सवाल उठ रहे हैं। कुछ का मानना है कि उनके डीएमके में रहने का अनुभव कांग्रेस को फायदा नहीं देगा। अन्य का कहना है कि उनके पास मजबूत जनाधार नहीं है और वे पार्टी को नई दिशा देने में सक्षम नहीं होंगे। कुछ युवा नेताओं ने भी इस नियुक्ति को लेकर नाराजगी जताई है।

पेरुंथगई के सामने चुनौतियां

पेरुंथगई के सामने कई चुनौतियां हैं। उन्हें पार्टी को एकजुट करना होगा, युवाओं को जोड़ना होगा और डीएमके के मजबूत जनाधार को चुनौती देनी होगी। साथ ही, उन्हें भाजपा के बढ़ते प्रभाव का भी मुकाबला करना होगा।

क्या ला पाएंगे नई ऊर्जा?

पेरुंथगई की नियुक्ति को एक नया प्रयोग भी माना जा रहा है। उनके अनुभव और कांग्रेस-डीएमके दोनों पार्टियों में रहने का अनुभव फायदेमंद भी साबित हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे पार्टी को नई ऊर्जा दे पाएंगे और तमिलनाडु में वापसी कर पाएंगे? इसका जवाब समय ही देगा।

निष्कर्ष

पेरुंथगई की नियुक्ति तमिलनाडु कांग्रेस के लिए एक नया अध्याय है। उनके सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन उनके पास पार्टी को मजबूत बनाने का मौका भी है। उनकी सफलता तमिलनाडु में कांग्रेस के भविष्य को तय करेगी।

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