सैम ऑल्टमैन की ओपनएआई ने एक नया टूल बनाया है जिसका नाम सोरा है। यह टूल सिर्फ टेक्स्ट को इनपुट के रूप में लेकर महज एक मिनट में वीडियो बना सकता है। यकीनन यह बहुत ही आकर्षक और क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी है, लेकिन इसके साथ ही कई सवाल भी खड़े हो जाते हैं, खासकर जब गहरे नकली वीडियो यानी डीपफेक्स का खतरा पहले से ही मौजूद है।

ओपनएआई का सोरा: टेक्स्ट से एक मिनट का वीडियो, पर क्या सुरक्षित है?

सोरा क्या कर सकता है?

सोरा आपको टेक्स्ट के जरिए अपनी कल्पना को वीडियो में बदलने का मौका देता है। चाहे वो पहाड़ों पर पॉडकास्टिंग करते हुए दो गोल्डन रिट्रीवर्स हों, आधा बत्तख आधा ड्रैगन हो, या मंगल ग्रह पर उड़ते हुए ड्रोन हों, सोरा इन्हें आपके लिए बना सकता है। इतना ही नहीं, यह मौजूदा तस्वीरों को भी एनिमेट कर सकता है और उनमें जान डाल सकता है।

डीपफेक्स का खतरा

हालांकि सोरा की क्षमताएं कमाल की हैं, लेकिन डीपफेक्स के बढ़ते खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। डीपफेक्स तकनीक का इस्तेमाल कर असली लोगों के नकली वीडियो बनाए जा सकते हैं, जो बिल्कुल असली लगते हैं। इसका इस्तेमाल किसी को बदनाम करने, गलत सूचना फैलाने या सामाजिक अशांति पैदा करने के लिए किया जा सकता है।

सोरा कितना सुरक्षित है?

ओपनएआई का दावा है कि वो सोरा को सुरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है। इसमें टेक्स्ट और इमेज क्लैसिफायर शामिल हैं जो नैतिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले इनपुट को रोक देंगे। साथ ही, भविष्य में वीडियो में सी2पीएम मेटादेटा भी शामिल किया जाएगा, जिससे उनकी असलियत का पता लगाया जा सकेगा।

लेकिन सवाल ये है कि क्या ये कदम पर्याप्त होंगे? डीपफेक्स तकनीक तेजी से विकसित हो रही है और सोरा जैसी टेक्नोलॉजी इसे और भी शक्तिशाली बना सकती है।

क्या करना चाहिए?

इस तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे:

  • कानून और दिशानिर्देश बनाना: सरकारों को डीपफेक्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून और दिशानिर्देश बनाने चाहिए।
  • मीडिया साक्षरता बढ़ाना: लोगों को डीपफेक्स की पहचान करने और उनसे बचने के लिए शिक्षित करना जरूरी है।
  • टेक्नोलॉजी का जिम्मेदार इस्तेमाल: टेक्नोलॉजी कंपनियों को अपनी तकनीक को सुरक्षित बनाने और नैतिक रूप से इस्तेमाल करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

सोरा जैसी टेक्नोलॉजी भले ही बहुत आकर्षक हो, लेकिन हमें इसके संभावित खतरों को भी नहीं भूलना चाहिए। हमें सतर्क रहना होगा और इस टेक्नोलॉजी का जिम्मेदाराना इस्तेमाल करना होगा।

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