राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारत में 122 मेडिकल छात्रों ने आत्महत्या कर ली है, जबकि 1270 से अधिक छात्र पढ़ाई बीच में ही छोड़कर चले गए। यह आंकड़ा चिंताजनक है और चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में व्याप्त खामियों को उजागर करता है।

समस्या के कारण:

  • अत्यधिक दबाव और प्रतिस्पर्धा: मेडिकल की पढ़ाई काफी कठिन और प्रतिस्पर्धात्मक है। छात्रों पर लगातार परीक्षाओं का दबाव रहता है, जिससे वे मानसिक तनाव में आ जाते हैं। साथ ही, सीमित सीटों के कारण छात्रों के बीच अत्यधिक प्रतिस्पर्धा रहती है, जो उनके तनाव को और बढ़ा देती है।
  • अवसाद और उत्पीड़न: कई मामलों में छात्र अवसाद और उत्पीड़न का भी शिकार होते हैं। रैगिंग, भेदभाव और वरिष्ठ छात्रों द्वारा उत्पीड़न के मामले भी सामने आते रहते हैं, जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
  • कमजोर सपोर्ट सिस्टम: कई मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के लिए पर्याप्त सपोर्ट सिस्टम नहीं होता है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच कम होती है और उन्हें अपने संघर्षों को साझा करने में हिचकिचाहट होती है।
  • अध्ययन-कार्य जीवन संतुलन का अभाव: मेडिकल की पढ़ाई इतनी कठिन होती है कि छात्रों के पास अन्य गतिविधियों के लिए समय नहीं बचता। इससे उनका अध्ययन-कार्य जीवन संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे तनाव और अवसाद की समस्या बढ़ सकती है।

क्या किया जा सकता है?

  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना: सभी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाताओं की नियुक्ति की जानी चाहिए। साथ ही, छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूक करना और उन्हें मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • छात्रों पर दबाव कम करना: परीक्षा प्रणाली में सुधार लाकर और सीटों की संख्या बढ़ाकर छात्रों पर अनावश्यक दबाव को कम किया जा सकता है। साथ ही, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • सकारात्मक माहौल बनाना: रैगिंग और उत्पीड़न को सख्ती से रोका जाना चाहिए। कॉलेजों में एक ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जहां छात्र सुरक्षित महसूस करें और अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकें।
  • अध्ययन-कार्य जीवन संतुलन को बढ़ावा देना: कॉलेजों को छात्रों को अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे छात्रों का तनाव कम होगा और वे मानसिक रूप से स्वस्थ रह पाएंगे।

चिकित्सा क्षेत्र में कुशल डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए यह जरूरी है कि हम मेडिकल शिक्षा प्रणाली में सुधार लाएं और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। तभी हम भविष्य में ऐसे डॉक्टर तैयार कर पाएंगे जो न केवल रोगियों का शारीरिक उपचार कर सकें, बल्कि उनकी भावनात्मक जरूरतों को भी पूरा कर सकें।

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