नई दिल्ली: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के दो-बच्चे के नियम को बरकरार रखा है। इस नीति को लेकर काफ़ी विवाद रहा है क्योंकि इसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों को सरकारी सुविधाओं और रियायतों से वंचित किया जाता है।
राजस्थान में इस नीति के ख़िलाफ़ एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें इसे असंवैधानिक बताया गया था। हालांकि शीर्ष अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए बुधवार, 28 फरवरी को कहा कि यह नियम परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार का एक नीतिगत निर्णय है। कोर्ट ने कहा कि इसमें दख़ल देने की जरूरत नहीं है।
नीति का मकसद राजस्थान सरकार ने इस नियम का उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण और राज्य के सीमित संसाधनों का बेहतर प्रबंधन बताया है। दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को सरकारी नौकरियों, पंचायत चुनावों, और कुछ सरकारी योजनाओं से वंचित रखा जाता है।
मानवाधिकार संगठनों ने की आलोचना इस नियम को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह नीति ज़बरदस्ती है और गरीब परिवारों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है। आलोचकों का तर्क है कि यह नागरिकों के प्रजनन संबंधी अधिकारों का हनन करती है।
निर्णय पर मिले-जुले विचार सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले का असर राजस्थान में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी दिख सकता है जहां इसी तरह के नियम लागू करने पर विचार किया जा रहा है। कोर्ट के इस निर्णय पर जनता और नीति विशेषज्ञों के बीच मिले-जुले विचार सामने आ रहे हैं।