भारतीय सरकार गूगल द्वारा अपनी नीतियों का उल्लंघन करने के लिए प्ले स्टोर से कई भारतीय ऐप्स को हटाने के बाद कदम उठा रही है। सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और भारतीय स्टार्टअप्स और डेवलपर्स के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी। आइए इस पूरे विवाद को विस्तार से समझते हैं।

गूगल द्वारा भारतीय ऐप्स हटाने के बाद केंद्र सरकार का जवाबी कदम

विवाद की जड़ क्या है?

विवाद का मूल गूगल के प्ले स्टोर पर डेवलपर्स द्वारा इन-ऐप खरीदारी पर लगने वाले शुल्क से जुड़ा है। गूगल ऐप डेवलपर्स से इन-ऐप खरीदारी पर 11% से 26% तक का कमीशन लेता है। भारतीय स्टार्टअप्स और डेवलपर्स का कहना है कि यह शुल्क बहुत अधिक है और इससे उनके मुनाफे पर काफी असर पड़ता है।

सरकार क्या कर रही है?

भारतीय सरकार इस मामले में कई मोर्चों पर काम कर रही है।

  • सबसे पहले, सरकार इस मामले को लेकर गूगल के साथ बातचीत कर रही है। उम्मीद है कि सरकार गूगल को भारतीय डेवलपर्स के लिए शुल्क कम करने के लिए राजी कर लेगी।
  • दूसरी तरफ, सरकार भारतीय ऐप स्टोर विकसित करने पर भी विचार कर रही है। इससे भारतीय डेवलपर्स को गूगल प्ले स्टोर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
  • साथ ही, सरकार भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के फैसले को लागू करने पर भी जोर दे रही है। CCI ने पहले ही गूगल को अपने प्ले स्टोर की नीतियों को लेकर आदेश जारी किया था।

क्या है आगे का रास्ता?

फिलहाल यह देखना होगा कि सरकार और गूगल के बीच बातचीत का क्या नतीजा निकलता है। अगर बातचीत विफल रहती है तो सरकार सख्त कदम उठा सकती है, जिसमें भारतीय ऐप स्टोर विकसित करना या गूगल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है।

आपके लिए क्या मायने रखता है?

इस पूरे विवाद का सीधा असर भारतीय यूजर्स पर भी पड़ सकता है। अगर कंपनीऔर सरकार के बीच विवाद लंबा चलता है तो यूजर्स को अपने पसंदीदा भारतीय ऐप्स तक पहुंचने में मुश्किल हो सकती है। साथ ही, भारतीय डेवलपर्स को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भारतीय सरकार गूगल के साथ मिलकर इस मामले का जल्द से जल्द समाधान निकालने का प्रयास कर रही है। उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच सहमति बनेगी और भारतीय डेवलपर्स को उचित माहौल मिलेगा।

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