भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट शुरू करने की योजना पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस फैसले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई है। यह फैक्ट चेक यूनिट सूचना और प्रसारण मंत्रालय (PIB) के अंतर्गत बनाई जा रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की फैक्ट चेक यूनिट पर रोक लगाई

हाई कोर्ट के फैसले को किया गया खारिज

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने यह अंतरिम आदेश दिया है। यह आदेश तब आया है, जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसी मामले में दायर याचिकाओं पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजίν्स (एआईएम) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र को फैक्ट चेक यूनिट अधिसूचित करने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी। बाद में याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “हम हाई कोर्ट के तीसरे जज के अंतरिम राहत देने से इनकार करने के फैसले को दरकिनार करते हैं और निर्देश देते हैं कि हाई कोर्ट द्वारा अंतिम फैसला सुनाए जाने तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा 20 मार्च को जारी अधिसूचना पर रोक रहेगी.”

आगे की सुनवाई में होगा फैसला

गौरतलब है कि यह फैक्ट चेक यूनिट पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम, 2021 में किए गए संशोधनों का हिस्सा थी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चूंकि सभी मुद्दों पर हाई कोर्ट द्वारा फैसला होना बाकी है, इसलिए वह फिलहाल इस मामले की गुणवत्ता पर कोई राय नहीं दे रहा है।

बता दें कि फैक्ट चेक यूनिट सोशल मीडिया पर चल रही फेक न्यूज की समस्या से निपटने के लिए बनाई जा रही थी। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इससे सरकार को यह अधिकार मिल जाएगा कि वह अपनी मनमानी से सूचनाओं को सही या गलत करार दे सकेगी। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होगा।

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