भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इस ज्वलंत मुद्दे पर चिंता जताई और सीमा पर तनाव कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की है.
पिछले कुछ सालों में कई बार दोनों देशों के सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध और झड़पें हो चुकी हैं. 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में दोनों तरफ से सैनिक हताहत हुए थे. इसके बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ी है और सैन्य बुनियादी ढांचे का भी तेजी से विकास हो रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस स्थिति को चिंताजनक बताया है. उनका कहना है कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों के लिए बेहद जरूरी है. उन्होंने कूटनीतिक वार्ता और शांतिपूर्ण तरीकों से सीमा विवाद को सुलझाने पर बल दिया है.
हालांकि, अभी तक वार्ता की प्रगति धीमी रही है. दोनों देशों के बीच सीमा पर कई जगहों पर दावों का टकराव है. ऐसे में भविष्य में तनाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है.
भारत सरकार सीमा पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रही है. सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के साथ ही सीमावर्ती इलाकों में सड़क, पुल और हवाई अड्डों जैसे बुनियादी ढांचे का भी विकास किया जा रहा है.
यह उम्मीद की जाती है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता जल्द ही सफल होंगी और सीमा पर शांति स्थापित होगी. लेकिन, फिलहाल भारत-चीन सीमा पर तनाव कम होने के कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहे हैं.