लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र, सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपने अंतिम प्रयासों में जुट गए हैं। चुनाव प्रचार अब अपने चरम पर है, और विभिन्न दल मतदाताओं को लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। यहां हम हिंदुस्तान टाइम्स और द हिंदू के हवाले से चुनावी परिदृश्य का जायजा लेते हैं।

भाजपा का मिशन 2024
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपने विकास कार्यों और राष्ट्रवाद के मुद्दे को प्रमुखता दी है। पीएम मोदी लगातार रैलियों में भाग ले रहे हैं और सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे हैं। भाजपा ने अपने अभियान में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को प्रमुखता दी है। पार्टी का फोकस उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्यों पर है, जहां से बड़ी संख्या में सीटें आती हैं।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी जोर-शोर से प्रचार शुरू किया है। राहुल गांधी ने बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, और भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में न्याय योजना और महिलाओं के लिए 33% आरक्षण जैसे वादे किए हैं। पार्टी का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों पर है, जहां वे मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं।
क्षेत्रीय दलों की भूमिका
इसके अलावा, क्षेत्रीय दल भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, और डीएमके जैसी पार्टियों ने अपने-अपने राज्यों में जोरदार प्रचार किया है। ये दल गठबंधन की राजनीति के जरिए अधिकतम सीटें जीतने की कोशिश में हैं।
मतदाताओं का रुझान
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि इस बार मतदाताओं का रुझान काफी महत्वपूर्ण होगा। कई राज्यों में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है, जहां भाजपा, कांग्रेस, और क्षेत्रीय दलों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। युवा मतदाता और पहली बार वोट डालने वाले इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
निष्कर्ष
चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में पहुंचते ही सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। अब देखना यह है कि किसका अभियान अधिक प्रभावी साबित होता है और किसे जनता का समर्थन मिलता है। मतगणना के दिन ही स्पष्ट हो सकेगा कि कौन सी पार्टी या गठबंधन सत्ता की कुर्सी पर बैठेगा