भारत, 11 जून 2024: आज के डिजिटल युग में, शिक्षा और अपराध एक भयावह रूप लेते हुए सामने आ रहे हैं। एक तरफ देश की प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी से पीएचडी कर रहे छात्र लाखों रुपये साइबर अपराधियों के जाल में फंस रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ फिनटेक दिग्गज पेटीएम और भी अधिक छंटनी की घोषणा कर रहा है, जिससे शिक्षित युवाओं का भविष्य अधरकार में खड़ा हो गया है।

शिक्षित बेरोजगारी और साइबर अपराध: एक डिजिटल युग की विडंबना

IIT के छात्र को हुआ लाखों का चूना:

हाल ही में एक परेशान करने वाली घटना सामने आई है, जहां आईआईटी के एक पीएचडी छात्र को कथित तौर पर फर्जी पुलिस वालों ने फोन पर धोखा दिया और उनसे लाखों रुपये ऐंठ लिए। इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या हमारी शिक्षा प्रणाली छात्रों को साइबर अपराधों से बचाने के लिए पर्याप्त रूप से सजग कर रही है?

पेटीएम में छंटनी का दौर जारी:

फिनटेक कंपनी पेटीएम ने हाल ही में और छंटनी की घोषणा की है, जिससे पहले से ही नौकरियों की कमी से जूझ रहे युवाओं की चिंता और बढ़ गई है। यह घटना स्टार्टअप क्षेत्र में मंदी की ओर भी इशारा करती है, जहां कुछ समय पहले तक भारी भरकम भर्तियां हो रही थीं।

चिंताजनक स्थिति:

ये दोनों घटनाएं मिलकर देश की एक चिंताजनक स्थिति को उजागर करती हैं। शिक्षा का स्तर भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन साइबर अपराध तेजी से फैल रहे हैं और युवाओं को निशाना बना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, कुशल युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं।

क्या है समाधान?

इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार और शिक्षण संस्थानों को मिलकर काम करना होगा। पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा संबंधी जागरूकता को बढ़ावा देने की जरूरत है। साथ ही, युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के लिए कौशल विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।

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