
छठा साल लगातार इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर बना। गुजरात के सूरत को फिर से दूसरा स्थान मिला है। वहीं तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र का नवी मुंबई ने कब्जा जमाया है। केंद्र सरकार के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2023’ के नतीजे आने के बाद खुशियां जताई जा रही हैं। लेकिन, कुछ जानकार इस सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं।

लगातार सफलता का सिलसिला।
इंदौर ने लगातार छठी बार शीर्ष स्थान हासिल किया है। इससे शहर के निवासियों में हर्ष का माहौल है। वहीं, पिछले साल तीसरे स्थान पर रहे आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा को नवी मुंबई ने पीछे छोड़ दिया है। बड़े शहरों की श्रेणी में इंदौर, सूरत और नवी मुंबई का प्रदर्शन शानदार रहा है। वहीं, मध्य प्रदेश को सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में पहला स्थान मिला है।

कार्यप्रणाली पर सवाल।
स्वच्छ सर्वेक्षण के नतीजे आते ही इस सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। आलोचकों का कहना है कि सर्वेक्षण में केवल कुछ चुनिंदा शहरों पर ही फोकस किया जाता है। छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों की अनदेखी की जाती है। साथ ही, सर्वेक्षण का तरीका भी सवालों के घेरे में है। कुछ का कहना है कि प्रश्नावली सरकारी अफसरों को भरने के लिए दी जाती हैं, जो वास्तविक स्थिति का सही आकलन नहीं दे पाती।
पर्यावरणविदों की राय।
पर्यावरणविदों का कहना है कि शहरों की स्वच्छता केवल स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग से तय नहीं की जानी चाहिए। बल्कि, पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर कोई शहर कचरे का निपटान तो ठीक से कर रहा है, लेकिन हवा और पानी प्रदूषित हैं, तो उसे पूरी तरह से स्वच्छ नहीं कहा जा सकता।
आगे की राह।
स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर उठे सवालों पर केंद्र सरकार को जरूर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली में सुधार की गुंजाइश है। ताकि, यह सर्वेक्षण वास्तविक और समावेशी बन सके। साथ ही, शहरों की स्वच्छता का आकलन करते समय केवल सफाई पर ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। तभी हम सच्चे अर्थों में स्वच्छ भारत का निर्माण कर सकेंगे।




