देहरादून, 15 जनवरी 2024: उत्तराखंड हिमालय के फलों के उचित समर्थन मूल्य, उचित विक्रय व्यवस्था और सरकारी बसों में मुफ्त ढुलान व्यवस्था की मांग के साथ धाद ने माल्टे का मांगपत्र जारी किया। मांगपत्र को पढ़ते हुए धाद के वरिष्ठ सदस्य उत्तम सिंह रावत ने कहा कि यह मांगपत्र धाद के माल्टे के महीने अभियान में जुटाए गए सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है।

मांगपत्र में पहाड़ी फलों के लिए निम्नलिखित मांगें की गई हैं:

  • पहाड़ी फलों के लिए सम्मानजनक समर्थन मूल्य, जिसकी समयोचित घोषणा की जाए।
  • विधिवत क्रय व्यवस्था, जिसमें फसलों का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जाए।
  • स्कूलों में पोषहार योजना में स्थानीय फलों को वरीयता दी जाए।
  • सीजन में मंडी तक मुफ्त ढुलान की व्यवस्था की जाए।
  • फल प्रसंस्करण के जिले केंद्रों की व्यवस्था की जाए।

मांगपत्र जारी करने के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि पहाड़ के फलों और अन्न के लिए धाद की पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि धाद की पहल से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और सरकार को इन मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

हरेला संवाद के अंतर्गत आमंत्रित सतपुली मल्ली गाँव के किसान देवेंद्र नेगी ने कहा कि आज जो लोग पहाड़ में बागवानी खेती करना चाहते हैं उनके सामने चौतरफा चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से फसलों को बचाना, सड़क तक ढुलाई करना और बाजार में उचित मूल्य न मिलना किसानों के लिए बड़ी चुनौती है।

गाजियाबाद के प्रवासी उत्तराखंडी हरीश डोबरियाल ने कहा कि आज बहुत से प्रवासी इस दिशा में सक्रिय हैं, लेकिन उनके प्रयास तभी फलीभूत होंगे जब सरकार और समाज का साथ मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज जब लोग धूप सेंकने का भी पर्यटन बाजार है, तब हमारे शुद्ध फलों का कोई सम्मानजनक बाजार नहीं मिल पा रहा है।

कृषक बागवानी संगठन के बीर भान सिंह ने कहा कि पहाड़ के फल एक बड़ा बाजार पैदा करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि धाद और उनके संगठन ने माल्टे को लेकर अपने सीमित संसाधनों में ऐसा कर दिखाया है।

माल्टे के महीने अभियान का विवरण धाद के सचिव तन्मय द्वारा रखा गया। आयोजन का सञ्चालन अर्चना ने किया। इस अवसर पर भोज विशेषज्ञ मंजू काला द्वारा पहाड़ की भोजन परम्परा के साथ किये गए प्रयोग का काल्यो फ़ूड फेस्ट भी आयोजित किया गया।

धाद के इस मांगपत्र से पहाड़ के किसानों और बागवानों में उम्मीद जगी है। उम्मीद है कि सरकार इन मांगों पर विचार कर किसानों और बागवानों को न्याय दिलाएगी।

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