भविष्य की गूंज, हर तरफ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का शोर है। रोबोट हाथी चित्र बनाते हैं, सॉफ्टवेयर डॉक्टर बनते हैं, मशीनें कविता लिखती हैं। क्रांति का नगाड़ा बज रहा है, पर धरती अभी प्यासी खड़ी है। हजारों की तादाद में मौजूद ये चमत्कारिक एआई टूल्स आम लोगों के लिए उतने ही दूर हैं, जितनी चांद पर टहलना। ये एक ऐसी पहेली बन गए हैं, जिसे सुलझाने की ताकत न सिर्फ आम जन में नहीं, बल्कि तकनीक-प्रेमी माने जाने वाले Gen Z के पास भी नदारद है। आइए झांकें इस धुंधली क्रांति के भीतर, देखें क्यों हजारों एआई धरती पर बेकार पड़े हैं और क्यों इनका असली लाभ उठाने से हम इतने दूर हैं।
कमरे में बंद एआई, दहलीज पर आम आदमी: एआई तकनीक जटिल एल्गोरिदम का जंगल है, अज्ञात भाषाओं का चक्रव्यूह है। आम आदमी, जिसकी दुनिया स्मार्टफोन और मैसेजिंग ऐप्स तक ही सीमित है, उसके लिए इस जंगल का रास्ता ढूंढना ही किसी पहाड़ चढ़ने के समान है। प्रोग्रामिंग या कम्प्यूटर साइंस की पृष्ठभूमि न होने के कारण एआई की शक्ति को समझना और उसका इस्तेमाल करना उनकी पहुंच से परे है।
Gen Z भी हताश? ये भ्रम है कि Gen Z तकनीक के मामले में सबसे आगे है। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के इस्तेमाल में वे माहिर हैं, लेकिन एआई के गहन ज्ञान और अनुप्रयोग से वे भी कोसों दूर हैं। स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में एआई को शामिल नहीं किया गया है, जिससे युवाओं के लिए एआई तक पहुंच और समझ सीमित हो जाती है। ये पाठ्यक्रम भविष्य के कौशल सिखाने में नाकाम हैं, जिससे ये तकनीक-प्रेमी युवा भी एआई की पहेली सुलझाने में अक्षम हैं।
भाषा की दीवार, समझ की खाई: एआई तकनीकें अक्सर अंग्रेजी के जटिल शब्दजाल में पिरोई होती हैं, जो आम आदमी की समझ से परे होती हैं। “न्यूरल नेटवर्क”, “मशीन लर्निंग”, “डेटा साइंस” – ये शब्द आम आदमी को डराते हैं, उसे एआई से दूर करते हैं। तकनीकी शब्दावली की ये दीवार एआई को जनता से अलग करती है। हमें ऐसी तकनीकें विकसित करने की जरूरत है, जो अपनी मातृभाषा में बात करती हों, तभी जनता एआई की पहेली को सुलझा पाएगी।
Gen Z भटका पथ: डिजिटल युग के मूल निवासी माने जाने वाले Gen Z को भी एआई की इस जटिल दुनिया में भटकना पड़ रहा है। सोशल मीडिया फिल्टर और स्मार्टफोन असिस्टेंट से तो वे परिचित हैं, लेकिन एआई के असली अनुप्रयोगों, जैसे कि चिकित्सा क्षेत्र में निदान या कृषि में फसल प्रबंधन से वे अनजान हैं। उन्हें ये नहीं पता कि किस तरह से एआई उनकी शिक्षा, रोजगार या दैनिक जीवन को बेहतर बना सकता है।
सुलझी है पहेली का कोई रास्ता? हताश होने की जरूरत नहीं है, पहेली को सुलझाने की कोशिशें हो रही हैं। धीमी गति से ही सही, लेकिन कदम उठाए जा रहे हैं। यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस और नो-कोड प्लेटफॉर्म विकसित किए जा रहे हैं।