
नई दिल्ली, 18 दिसंबर, 2023: भारत सरकार ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय श्रमिकों की संख्या बढ़ाने की योजना तो बनाई है, लेकिन इजरायल सरकार के साथ इसको लेकर किसी भी तरह की बातचीत से इनकार कर दिया है। सरकार का कहना है कि फिलिस्तीनी मजदूरों की जगह लेने का लक्ष्य नहीं है, बल्कि भारतीय श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करना प्राथमिकता है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार पहले फिलिस्तीनी मजदूरों की स्थिति और उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार का अध्ययन कराएगी। उसके बाद ही फिलिस्तीनी क्षेत्रों में और अधिक भारतीय श्रमिकों को भेजने के बारे में विचार करेगी। हालांकि, सरकार ने इस बात से साफ इनकार किया है कि वह फिलिस्तीनी मजदूरों की जगह भारतीयों को लेना चाहती है।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा, “यह मामला भारत के श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा से जुड़ा है।
हमारा उद्देश्य फिलिस्तीनी मजदूरों को बाहर करना नहीं है, बल्कि भारतीय श्रमिकों के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियां और संरक्षण सुनिश्चित करना है।”
इस प्रस्तावित योजना ने विपक्षी दलों की आलोचना को भी आमंत्रित किया है।
कुछ का कहना है कि यह कदम फिलिस्तीनी जनता के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।
वहीं, कुछ का मानना है कि यह योजना विदेश नीति से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा सकती है।
सरकार ने हालांकि, इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया है।
प्रवक्ता ने कहा, “विदेश नीति और श्रमिकों के कल्याण को अलग-अलग रखा जाएगा।
हमारा इजरायल के साथ रिश्ते को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है।”
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में भारत सरकार अपने इस कदम को किस तरह आगे बढ़ाती है और फिलिस्तीनी क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय मजदूरों की स्थिति में क्या सुधार हो पाता है।
मुख्य बिंदु:
- भारत सरकार फिलिस्तीनी क्षेत्रों में भारतीय श्रमिकों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही है।
- सरकार ने इजरायल के साथ इस मुद्दे पर बातचीत से इनकार किया है।
- सरकार का कहना है कि इसका लक्ष्य फिलिस्तीनी मजदूरों की जगह लेना नहीं है।
- इस योजना ने विपक्षी दलों की आलोचना को आमंत्रित किया है।
- सरकार फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को नुकसान पहुंचाने से इनकार कर रही है।