
अयोध्या 29 अक्टूबर 2023: अयोध्या के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान रामलला के दर्शन कर राष्ट्र को संबोधित किया। अपने भावपूर्ण भाषण में उन्होंने अयोध्या की पवित्रता, राम मंदिर के निर्माण, और राष्ट्र निर्माण के मंत्रों को देशवासियों तक पहुंचाया।

रामलला के दर्शन, आनंद और आत्मग्लानि का संगम:
पीएम मोदी ने सबसे पहले श्री रामलला का दर्शन किया और उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित की। इस दिव्य अनुभव को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “आज रामलला के चरणों में माथा टेकते हुए आनंद के साथ आत्मग्लानि भी हो रही है। आनंद इसलिए क्योंकि आज अयोध्या का सपना साकार हो रहा है और आत्मग्लानि इसलिए क्योंकि इस भूमि को इतने समय तक तनाव और विवाद झेलना पड़ा।”

राम मंदिर निर्माण: राष्ट्र एकता का प्रतीक:
प्रधानमंत्री ने राम मंदिर निर्माण को राष्ट्र एकता का प्रतीक बताया।
उन्होंने कहा, “यह मंदिर केवल ईंटों और पत्थरों से नहीं बन रहा है, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था और विश्वास से बन रहा है।
यह मंदिर भारत की समृद्ध संस्कृति और सहिष्णुता का भी प्रतीक है।”
राष्ट्र निर्माण के मंत्र:
पीएम मोदी ने अपने भाषण में राष्ट्र निर्माण के लिए चार महत्वपूर्ण मंत्र दिए।
उन्होंने कहा, “पहला मंत्र है ‘राम का काम’, यानी कर्म के प्रति समर्पण।
दूसरा मंत्र है ‘सबका साथ, सबका विकास’, यानी समावेशी विकास। तीसरा मंत्र है ‘सबका विश्वास’, यानी सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान।
चौथा मंत्र है ‘सबका प्रयास’, यानी राष्ट्र निर्माण में सभी का योगदान।”
अयोध्या का नवनिर्माण:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राम मंदिर के साथ ही अयोध्या का समग्र विकास भी प्राथमिकता है।
उन्होंने अयोध्या को विश्वस्तरीय तीर्थस्थल बनाने की योजनाओं का उल्लेख किया, जिनमें हवाई अड्डे का विस्तार, रेलवे स्टेशन का नवीनीकरण, और पर्यटन सुविधाओं का विकास शामिल है।
अंत में, पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या का यह पावन क्षण हमें राष्ट्र निर्माण के संकल्प को जगाए।
उन्होंने सभी देशवासियों से एकजुट होकर भारत को एक आदर्श राष्ट्र बनाने का आह्वान किया।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी के ऐतिहासिक भाषण ने न केवल अयोध्या के भविष्य, बल्कि पूरे देश के लिए एक उम्मीद की किरण जगाई है। यह लेख उनके भाषण के कुछ प्रमुख अंशों को प्रस्तुत करता है, लेकिन उनके पूरे भाषण में राष्ट्रभक्ति, आध्यात्मिकता, और विकास का जो सम संगम है, उसे अनुभव करने के लिए आपको पूरा भाषण अवश्य सुनना चाहिए।