कोटद्वार में हुई बैठक में मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन के संयोजक मोहित डिमरी और सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि यह आंदोलन उत्तराखंड के हरेक मूल निवासी का आंदोलन है। जब तक उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू नहीं हो जाता, यह आंदोलन जारी रहेगा।

उत्तराखंड विकास पार्टी के अध्यक्ष मुजीब नैथानी एवं पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह रावत ने कहा कि आज हमारी जमीनोंपर भू माफिया का कब्जा होता जा रहा है। हमारे लोग बाहर के लोगों के रिजॉर्ट में नौकर बनने के लिए मजबूर हो गए हैं। सरकार ने भू कानून इतना लचर बना दिया है, कोई भी हमारे राज्य में बेतहाशा जमीन खरीद सकता है।

यूकेडी के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह रावत, इंडिया अगेंस्ट करप्शन से अनूल थपलियाल, हिन्दू समाज पार्टी के दीपक सिंह रावत ने कहा कि जब हमारी जमीन बचेगी, तभी हमारा ज़मीर भी बच पायेगा। जमीन बचेगी तो हमारी संस्कृति, बोली-भाषा, वेशभूषा, साहित्य और अस्मिता बच पाएगी।

यूकेडी सैनिक प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रमोद काला, यूकेडी जिलाध्यक्ष मुकेश बडथ्वाल, अनिल डोभाल, मनोज सिंह, अनिल कुमार, राज्य आंदोलनकारी मनमोहन सिंह नेगी, जय देवभूमि फाउंडेशन के अध्यक्ष शिवानंद लखेड़ा, पूर्व छात्र नेता रमेश भंडारी, विनय भट्ट अनिकेत नौटियाल ने कहा कि हम सभी को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना है। आज हम लोग नहीं लड़े तो आने वाले समय में हम लोग अल्पसंख्यक हो जायेंगे और बाहरी ताकतें हम पर राज करेंगी। हमें अपनी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए संघर्ष करना है। यह जनांदोलन हर गांव, हर शहर में पहुँचना जरूरी है।

निष्कर्ष:

कोटद्वार में हुई बैठक में मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया गया है। फरवरी माह में कोटद्वार में होने वाली मूल निवास स्वाभिमान महारैली इस आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकती है।

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