Sunday, June 15, 2025
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मूल निवास, के नारे से हलद्वानी में हलचल: मूल निवासी भूमि विधेयक के साथ सुरक्षित भविष्य चाहते हैं

"मूलनिवास" के नारे से हलद्वानी में हलचल: मूल निवासी भूमि विधेयक के साथ सुरक्षित भविष्य चाहते हैं

हल्द्वानी, 28 जनवरी: मूल निवास 1950 लागू करने और मजबूत भू-कानून बनाने की मांग को लेकर रविवार को हल्द्वानी में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों से हजारों लोग शामिल हुए।

रैली का आयोजन ‘मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति’ ने किया था, जिसमें राज्य के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने भाग लिया।

मुख्य मांगें:

  • 1950 को मूल निवास की कट-ऑफ तिथि लागू की जाए।
  • उत्तराखंड में मजबूत भू-कानून बनाया जाए।
  • शहरी क्षेत्रों में भूमि खरीदने की सीमा 250 मीटर लागू हो। जमीन उन्हीं को दी जाए जो उत्तराखंड में 25 साल से रह रहे हों या सेवाएं दे रहे हों।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
  • गैर-कृषकों द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगाई जाए।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में गैर-पहाड़ी मूल के निवासियों द्वारा भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  • राज्य गठन के बाद से अब तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या पट्टे पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
  • प्रदेश में विशेषकर पहाड़ी क्षेत्र में आने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीद में स्थानीय निवासियों का 25% और जिले के मूल निवासियों का 25% हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
  • ऐसे सभी उद्यमों में 80% रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाए।

आगे की रणनीति:

  • समिति गांव-गांव जाकर जनता से संवाद करेगी।
  • प्रदेश के विश्वविद्यालयों में युवाओं से संवाद किया जाएगा।
  • चरणबद्ध तरीके से समिति विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को बहस की चुनौती:

‘मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति’ ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दी है।

महत्व:

यह रैली उत्तराखंड में मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी और एकजुट आवाज इन चिंताओं को दूर करने की तात्कालिकता को दर्शाती है।

ध्यान दें:

  • “मूल निवास” उन व्यक्तियों को संदर्भित करता है जो 2000 में राज्य बनने से पहले उत्तराखंड में रहते थे।
  • रैली ने रोजगार सुरक्षा और बाहरी लोगों के आने के बारे में भी चिंताओं को संबोधित किया, जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक कल्याण को संरक्षित करना है।
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