
उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार, 8 फरवरी, 2024 को बहु-प्रतीक्षित और विवादित समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक को पारित कर दिया। यह विधेयक राज्य में सभी धानर्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानूनों को विनियमित करने का प्रयास करता है। विधेयक के पारित होने पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
क्या है समान नागरिक संहिता विधेयक?
यह विधेयक राज्य में व्यक्तिगत कानूनों, जैसे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि को नियंत्रित करेगा, जो वर्तमान में धर्म के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। इस विधेयक का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है, भले ही उनका धर्म कोई भी हो।
विधेयक के समर्थकों का तर्क:
- सामाजिक सुधार: यह विधेयक लैंगिक समानता लाकर पुरानी परंपराओं को चुनौती देता है, जो अक्सर महिलाओं के लिए भेदभावपूर्ण होती हैं।
- राष्ट्रीय एकीकरण: सभी नागरिकों के लिए समान कानून राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देगा और धर्म के आधार पर विभाजन को कम करेगा।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: कानूनों में एकरूपता से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
विधेयक के विरोधियों का तर्क:
- धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन: विरोधी तर्क देते हैं कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और धार्मिक अल्पसंख्यकों की परंपराओं पर हमला करता है।
- संविधानिक वैधता पर सवाल: कुछ का मानना है कि यह विधेयक संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन कर सकता है।
- सामाजिक अशांति: विरोधियों का मानना है कि यह विधेयक विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक अशांति को जन्म दे सकता है।
आगे क्या?
उत्तराखंड अब देश का पहला राज्य बन गया है जिसने UCC विधेयक को पारित किया है। हालांकि, अब इस विधेयक को राज्यपाल की स्वीकृति की आवश्यकता है, जिसके बाद ही यह कानून बन पाएगा। इसके अलावा, यह मुद्दा अदालत में चुनौती दिए जाने की भी संभावना है।
आपकी राय:
समान नागरिक संहिता विधेयक पर आपके क्या विचार हैं? क्या आप इस विधेयक के समर्थन में हैं या इसके विरोध में? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।