किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है और अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। केंद्र सरकार द्वारा तीन प्रकार की दालों, मक्का और कपास के लिए पांच साल के अनुबंध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की पेशकश को किसानों ने खारिज कर दिया है। इस निर्णय के बाद किसान संगठनों ने बुधवार से शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर मार्च करने की घोषणा की है।

किसानों ने केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार किया, बुधवार से दिल्ली मार्च जारी रहेगा: किसान आंदोलन का कोई समाधान नहीं मिल रहा है

किसान क्यों हैं असंतुष्ट?

किसान नेता जगजीत सिंह दलेवाल ने प्रस्ताव को अस्वीकार करने के कारणों को बताते हुए कहा, “सरकार ने (रविवार रात) प्रस्ताव रखा और हमने इसका अध्ययन किया। एमएसपी केवल दो या तीन फसलों पर लागू हो और अन्य किसानों को खुद के लिए छोड़ दिया जाए, यह समझ में नहीं आता।”

किसान संगठनों की मुख्य मांगों में तीन कृषि कानूनों को रद्द करना और एमएसपी को कानूनी रूप से लागू करना शामिल है। हालांकि, सरकार इन मांगों को मानने को तैयार नहीं है।

आगे क्या होगा?

किसानों के दिल्ली मार्च की घोषणा के बाद दिल्ली की सीमाओं पर एक बार फिर गतिरोध की स्थिति बनने की संभावना है। सरकार और किसान संगठनों के बीच अगले दौर की वार्ता होने की उम्मीद है, लेकिन अभी तक कोई तारीख तय नहीं है।

इस मुद्दे के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव क्या हैं?

किसान आंदोलन देश के कृषि क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। कृषि उत्पादों की आपूर्ति बाधित हो रही है और किसानों की आय घट रही है। इसके अलावा, यह मुद्दा सामाजिक अशांति का कारण भी बन सकता है।

आप इस मुद्दे के बारे में क्या सोचते हैं?

यह एक जटिल मुद्दा है और इसके कोई आसान समाधान नहीं हैं। सरकार और किसानों के बीच बातचीत का रास्ता निकालना जरूरी है ताकि इस गतिरोध को दूर किया जा सके।

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