भारत ने पंजाब में एक बांध के निर्माण के माध्यम से रावी नदी के पाकिस्तान जाने वाले जल प्रवाह को पूरी तरह से रोक दिया है। शाहपुर कंडी बैराज के नाम से जाना जाने वाला यह बांध अब पूरा हो चुका है। इसके पूरा होने के साथ, भारत न केवल रावी नदी के पानी का पूर्ण उपयोग कर सकेगा बल्कि इससे जम्मू-कश्मीर और पंजाब के किसानों को भी सीधा लाभ मिलेगा।

भारत ने रावी नदी का पानी पाकिस्तान को जाना रोका

यह विकास कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

पानी का अधिकार: 1960 के सिंधु जल संधि के तहत, भारत को रावी, सतलज और व्यास नदियों के पानी पर विशेष अधिकार प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी का उपयोग कर सकता है। शाहपुर कंडी बैराज के निर्माण के साथ, भारत इस संधि के तहत अपने जल अधिकारों का पूर्ण रूप से उपयोग कर रहा है।

सिंचाई और जल विद्युत: यह बांध न केवल सिंचाई के लिए अतिरिक्त जल उपलब्ध कराएगा बल्कि जल विद्युत उत्पादन के लिए भी इसका उपयोग किया जाएगा। इससे जम्मू-कश्मीर और पंजाब दोनों राज्यों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और बिजली आपूर्ति में सुधार लाने में मदद मिलेगी।

आर्थिक विकास: रावी नदी के पानी का अधिकतम उपयोग करने से भारत को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा। सिंचाई के कारण कृषि उत्पादन बढ़ने से किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा, जल विद्युत उत्पादन से बिजली उत्पादन में भी वृद्धि होगी, जिससे उद्योगों को लाभ होगा।

हालाँकि, इस विकास के कुछ संभावित नकारात्मक पहलू भी हैं:

पाकिस्तान पर प्रभाव: रावी नदी का पानी पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों के लिए सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है। पानी के प्रवाह में रोक से पाकिस्तान में इन क्षेत्रों में कृषि उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

संभावित तनाव: इस विकास से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ सकता है। दोनों देशों के बीच जल संसाधनों का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील रहा है।

यह देखना बाकी है कि भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच इस मुद्दे पर क्या बातचीत होती है और क्या समाधान निकलता है।

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