फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियां न्यूज़ कंटेंट को कम तरजीह दे रही हैं, जिसके चलते हाल ही में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक न्यूज़ टैब को बंद कर दिया गया है। साल 2019 में लॉन्च किया गया ये टैब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ संगठनों के साथ-साथ छोटे, स्थानीय प्रकाशनों से मुख्य खबरों और शीर्षकों को एकत्रित करता था।

क्यों हो रहा है ये बदलाव?
पिछले कुछ सालों में फेसबुक को अपने प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं को फैलने से रोकने और राजनीतिक विभाजन को कम करने में नाकाम रहने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि कंपनी इसी वजह से न्यूज़ और राजनीतिक कंटेंट को कम दिखाना चाहती है। फेसबुक खुद को “सच का निर्णायक” की छवि से अलग करना चाहती है और यूजर्स को ये अधिकार देना चाहती है कि वो क्या देखना चाहते हैं।
क्या होगा असर?
हालांकि फेसबुक पर न्यूज़ आर्टिकल शेयर किए जा सकेंगे और न्यूज़ संगठन अपनी कहानियों और वेबसाइटों का प्रचार कर सकेंगे, लेकिन एक समर्पित न्यूज़ फीड न होने से यूजर्स को खबरों तक पहुंचने में मुश्किल हो सकती है। साथ ही, न्यूज़ संगठनों को भी फेसबुक से ट्रैफिक कम होने का सामना करना पड़ सकता है।
क्या ये सिर्फ फेसबुक तक सीमित है?
नहीं, फेसबुक ही वो पहली कंपनी नहीं है जो ऐसा कर रही है। इससे पहले कंपनी ने यूके, फ्रांस और जर्मनी में भी फेसबुक न्यूज़ टैब को बंद कर दिया था। ये संकेत मिलता है कि आने वाले समय में और भी टेक कंपनियां न्यूज़ कंटेंट को कम तरजीह दे सकती हैं।
आगे क्या?
ये देखना होगा कि भविष्य में फेसबुक और दूसरी टेक कंपनियां न्यूज़ कंटेंट को लेकर क्या रुख अपनाती हैं। उम्मीद की जाती है कि समाचार संगठन पाठकों तक पहुंचने के लिए नए तरीके खोजेंगे और यूजर्स भी विश्वसनीय न्यूज़ सोर्स ढूंढने के लिए सजग रहेंगे।