ज़ेरोधा के CEO, नितिन कामथ ने हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया में एक लेख में वर्क फ्रॉम होम (WFH) मॉडल की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि यह मॉडल सभी प्रकार की नौकरियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
कमथ की दलीलें
कमथ का तर्क है कि WFH मॉडल रचनात्मकता, सहयोग और कंपनी कल्चर को नुकसान पहुंचा सकता है। उनका कहना है कि आमने-सामने की बातचीत और सहयोग से विचारों का बेहतर आदान-प्रदान होता है, जो नवाचार को बढ़ावा देता है। साथ ही, वह इस बात पर भी चिंता जताते हैं कि WFH मॉडल से कर्मचारियों में जूनून और काम के प्रति समर्पण की भावना कम हो सकती है।
क्या सभी को दफ्तर लौटना होगा?
हालाँकि, कामथ यह नहीं कह रहे हैं कि सभी कर्मचारियों को वापस ऑफिस आ जाना चाहिए। उनका मानना है कि WFH उन भूमिकाओं के लिए उपयुक्त हो सकता है जिनमें स्वतंत्र कार्य और व्यक्तिगत जवाबदेही की आवश्यकता होती है। वहीं, जिन भूमिकाओं में टीम वर्क और सहयोग महत्वपूर्ण हैं, उनके लिए दफ्तर का माहौल ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
चर्चा का विषय
कामथ के विचारों ने निश्चित रूप से एक बहस छेड़ दी है। WFH मॉडल कोविड-19 महामारी के दौरान लोकप्रिय हुआ था और कई कंपनियों ने इसे स्थायी रूप से अपना लिया है। हालांकि, यह मॉडल हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं है। कुछ लोगों के लिए, घर से काम करने में विचलन बहुत अधिक हो सकता है। वहीं, कुछ को सामाजिक संपर्क और सहकर्मियों के साथ काम करने के माहौल की कमी खलती है।
सही मॉडल का चुनाव
कामथ का यह लेख कंपनियों को इस बात पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करता है कि उनके कर्मचारियों के लिए कौन सा मॉडल सबसे उपयुक्त है। कुछ कंपनियां हाइब्रिड मॉडल अपना रही हैं, जो कर्मचारियों को घर से और दफ्तर से काम करने का विकल्प देता है। इस तरह की व्यवस्था कर्मचारियों को लचीलापन प्रदान करती है और साथ ही कंपनी को टीम वर्क और सहयोग के फायदे भी मिलते रहते हैं।
निष्कर्ष
WFH मॉडल के फायदे और नुकसान दोनों हैं। कंपनियों को यह ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए कि कौन सा मॉडल उनकी कार्य संस्कृति और कर्मचारियों की जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त है।