नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र जी.एन. साईबाबा को शुक्रवार को 10 साल जेल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। माओवादी लिंक्स के आरोप में उन्हें 2014 में दोषी ठहराया गया था। रिहाई के बाद साईबाबा ने जेल में बिताए अपने समय और भविष्य की योजनाओं पर मीडिया से बातचीत की।
साईबाबा ने पत्रकारों को बताया कि जेल में बिताया गया समय उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने कहा, “जेल में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की यातनाएं झेलीं। लेकिन मैंने अपनी पढ़ाई-लिखाई जारी रखी और जेल के पुस्तकालय से जितना मुमकिन हो सका पढ़ाई की।”
उन्होंने बताया कि जेल में रहते हुए उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी काफी चिंतन किया। उन्होंने कहा, “मैंने जेल में रहते हुए पाया कि किस तरह से असहमति की आवाज को दबाया जाता है और मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जाता है।”
रिहाई के बाद की अपनी योजनाओं के बारे में बताते हुए साईबाबा ने कहा कि वह शिक्षा के क्षेत्र में फिर से काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं एक विकलांग अधिकार कार्यकर्ता के रूप में भी काम करना जारी रखूंगा और हाशिए के समाज के लोगों के लिए लड़ता रहूंगा।”
साईबाबा की रिहाई पर कई राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुशी जताई है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए था। आने वाले समय में साईबाबा क्या करते हैं, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी। यह देखना होगा कि क्या वह शिक्षा और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल पाते हैं या नहीं।