उत्तराखंड में जंगल की आग ने राज्य के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता में गिरावट का कारण बना है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं। धुएं के कारण सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और त्वचा संबंधी समस्याएं जैसी शिकायतें सामने आ रही हैं।

धुएं का दंश: उत्तराखंड में जंगल की आग से स्वास्थ्य परेशानियां बढ़ीं

अधिकारियों का कहना है कि राज्य के विभिन्न जिलों में जंगल की आग लगातार भड़क रही है, जिस पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग और वन विभाग के कर्मचारी दिन-रात जुटे हुए हैं। हालांकि, शुष्क मौसम और तेज हवाओं के कारण आग को बुझाना मुश्किल हो रहा है।

वायु गुणवत्ता खराब

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, कई शहरों में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई है। विशेष रूप से देहरादून, रुद्रपुर और हल्द्वानी जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक बनी हुई है।

स्वास्थ्य पर असर

डॉक्टरों का कहना है कि धुएं के कारण दमा के मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसके अलावा आंखों में जलन, खांसी, छींक और गले में खराश जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। विशेषज्ञ धूल से बचने के लिए एन-95 मास्क पहनने, आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा लगाने और बाहर निकलने से बचने की सलाह दे रहे हैं।

आग लगने के कारणों की जांच

अधिकारियों का कहना है कि जंगल में आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि इनमें से कुछ आग जानी-बुझी लगाई गई हो सकती हैं। वहीं, कुछ का कारण बिजली गिरना या फिर अत्यधिक गर्मी भी हो सकता है।

आग पर काबू पाने के प्रयास

राज्य सरकार जंगल की आग को बुझाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। दमकल विभाग और वन विभाग के साथ ही सेना की मदद भी ली जा रही है। हेलीकॉप्टरों की मदद से भी आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है।

जागरूकता जरूरी

उत्तराखंड में हो रही जंगल की आग न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन गई है। ऐसे में न केवल आग पर काबू पाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए बल्कि लोगों को भी धुएं से बचने के उपाय करने चाहिए। जंगल में आग न लगाने के लिए जागरूकता फैलाना भी जरूरी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here