भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में, न्यूज़क्लिक के संस्थापक, प्रदीप पुरी को रिहा कर दिया है। पुरी को 2020 में कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था।

यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था, जब कई लोगों ने दावा किया था कि पुरी की गिरफ्तारी प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। न्यूज़क्लिक एक स्वतंत्र मीडिया हाउस है जो अक्सर सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करता है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने पाया कि पुरी की गिरफ्तारी की प्रक्रिया में अनियमितताएं थीं और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि मीडियाकर्मी सरकार की आलोचना करने के लिए डर के साये में नहीं रह सकते।

न्यूज़क्लिक के संस्थापक की रिहाई का स्वागत करते हुए पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता की जीत बताया है। वहीं, कुछ का मानना है कि इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।
गौरतलब है कि प्रेस की स्वतंत्रता भारत के संविधान के मौलिक अधिकारों में से एक है। यह फैसला सरकार और मीडिया के बीच संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है। भविष्य में, यह फैसला उन मामलों में एक मजबूत आधार के रूप में काम कर सकता है जहां सरकार पर मीडिया की आवाज को दबाने का आरोप लगता है।