एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में होने वाले लगभग आधे साइबर धोखाधड़ी का संबंध दक्षिण पूर्व एशिया से है। यह रिपोर्ट चिंताजनक है और यह भारत के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया के कौन से देश साइबर अपराधों में सबसे आगे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र के देशों में साइबर अपराध का एक बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है। इसमें फ़िशिंग अभियान, वित्तीय मालवेयर, और रैंसमवेयर हमले शामिल हो सकते हैं।
भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, साइबर अपराधों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिससे लोगों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। कोविड -19 महामारी के दौरान, ऑनलाइन लेनदेन में वृद्धि के साथ साइबर अपराधों में भी वृद्धि देखी गई।
भारत सरकार साइबर सुरक्षा के खतरे से अवगत है और इस मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठा रही है। सरकार ने भारतीय साइबरस्पेस को सुरक्षित बनाने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में संशोधन और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना शामिल है।
हालांकि, सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। साइबर अपराधियों से एक कदम आगे रहने के लिए भारत को अपने साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। इसमें साइबर अपराधों की रोकथाम और जांच के लिए कानून को मजबूत करना, साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाना और साइबर अपराध से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल है।
अगर आप साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और अपनी बैंक को सूचित करें। आप राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।