सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक संवेदनशीलता पर समिति का पुनर्गठन किया ने लैंगिक संवेदनशीलता पर एक नई समिति का गठन किया है। यह कदम न्यायपालिका के साथ-साथ पूरे देश में लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए सतत प्रयासों का हिस्सा है।

समिति का उद्देश्य
यह समिति न्यायपालिका के कामकाज में लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें करेगी। इसमें जजों, वकीलों और अदालत के कर्मचारियों के लिए लैंगिक संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित करना, यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए दिशानिर्देश तैयार करना और लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए नीतियों की सिफारिश करना शामिल हो सकता है।
पुनर्गठन के मायने
पिछली समिति के कार्यकाल की समाप्ति के बाद यह पुनर्गठन किया गया है। नई समिति में विशेषज्ञों और कानून के क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किया जा सकता है, जो लैंगिक समानता के मुद्दों पर व्यापक अनुभव रखते हैं। इससे समिति के कामकाज में नयापन आएगा और लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए नजरिए को और मजबूत किया जा सकेगा।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम स्वागत योग्य है। लैंगिक संवेदनशील न्यायपालिका न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। समिति की सिफारिशों को लागू करना और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वे न्यायपालिका के सभी स्तरों पर प्रभावी रूप से कार्यान्वित हों।