अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS), 11 जून 2024: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। हाल ही में स्टेशन पर एक संभावित “स्पेसबग” (अंतरिक्ष में पाए जाने वाला जीवाणु) का पता चला है। इस खोज से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और वर्तमान में ISS में मौजूद भारतीय अंतरिक्ष यात्री की सेहत पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

अभी तक अज्ञात “स्पेसबग”:
वैज्ञानिक इस “स्पेसबग” के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं जुटा पाए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि यह पृथ्वी से अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचा है या अंतरिक्ष में ही उत्पन्न हुआ है। वैज्ञानिक यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए किसी तरह का खतरा पैदा करता है।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री पर प्रभाव?:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। फिलहाल, भारतीय अंतरिक्ष यात्री की सेहत पर किसी तरह के खतरे का पता नहीं चला है। हालांकि, इसरो लगातार अंतरिक्ष यात्री के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है और किसी भी संभावित जोखिम से बचने के लिए एहतियाती कदम उठा रहा है।
अंतरिक्ष एजेंसियां कर रहीं जांच:
अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन करने वाली अंतरिक्ष एजेंसियां – अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA), रूसी अंतरिक्ष एजेंसी (Roscosmos), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी (JAXA) मिलकर इस “स्पेसबग” की जांच कर रही हैं। वैज्ञानिक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि यह किस प्रकार का जीवाणु है और इससे कैसे निपटा जा सकता है।
अंतरिक्ष अन्वेषण की चुनौतियां:
यह घटना अंतरिक्ष अन्वेषण की चुनौतियों को उजागर करती है। अंतरिक्ष यात्रियों को न केवल विकिरण और भारहीनता जैसी भौतिक परिस्थितियों से जूझना पड़ता है, बल्कि अब अंतरिक्ष में मौजूद अज्ञात जीवाणुओं से भी खतरा हो सकता है।
अंतरिक्ष एजेंसियों को अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर शोध और नवाचार करना होगा। आने वाले समय में यह देखना होगा कि वैज्ञानिक इस “स्पेसबग” से कैसे निपटते हैं और क्या इसका भारतीय अंतरिक्ष यात्री पर कोई वास्तविक प्रभाव पड़ता है।