नीट यूजी 2024 परीक्षा के नतीजे विवादों में घिर गए हैं। कुछ छात्र देरी और कुछ उम्मीदवारों के लिए ग्रेस मार्क्स रद्द किए जाने का विरोध कर रहे हैं।

ग्रेस मार्क्स को लेकर असहमति
इस साल की परीक्षा में कुछ परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी खराबी या अन्य अवरोधों के कारण छात्रों को समय की कमी का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने ऐसे प्रभावित छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने का फैसला किया था। हालांकि, ग्रेस मार्क्स दिए जाने की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ छात्रों का दावा है कि जरूरतमंद छात्रों को ग्रेस मार्क्स नहीं दिए गए, वहीं कुछ को बिना वजह के ज्यादा अंक दे दिए गए।
देरी पर भी सवाल
परिणामों में देरी को लेकर भी असंतोष है। आमतौर पर मई में होने वाली परीक्षा के नतीजे इस बार जून में आए। इससे काउंसलिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले का पूरा कार्यक्रम प्रभावित हो रहा है।
छात्र कर रहे हैं प्रदर्शन
कई शहरों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। वे मांग कर रहे हैं कि ग्रेस मार्क्स देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए और जिन छात्रों को वाकई समय की कमी का सामना करना पड़ा था उन्हें उचित अंक दिए जाएं। साथ ही, जल्द से जल्द काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू की जाए।
मामला सुप्रीम कोर्ट में
कुछ छात्र संगठनों ने इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एनटीए को जवाब देने का आदेश दिया है। अभी यह देखना बाकी है कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।
नीट यूजी लाखों छात्रों के लिए मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर बनाने का एक महत्वपूर्ण द्वार है। ऐसे में परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और समयबद्धता बनाए रखना आवश्यक है। उम्मीद की जाती है कि जल्द ही इस विवाद का समाधान होगा और छात्रों को उनकी मेहनत के अनुसार मौका मिलेगा।