देहरादून, 14 जून 2024 – उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने उद्यान घोटाले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उद्यान विभाग ने ऐसी कंपनी को काम दिया जिसका 2022 तक कोई अस्तित्व ही नहीं था। करन माहरा ने कहा कि बिना किसी प्रोफाइल की जांच किए ही कंपनी को उद्यान विभाग द्वारा लाइसेंस दे दिया गया। उन्होंने इस घोटाले के पीछे नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत को जिम्मेदार ठहराया है।

करन माहरा ने कहा कि यदि न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए गए होते, तो यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाता। उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बागवानी को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को शुरू किया गया था, लेकिन मानकों को पूरा न करने के बावजूद भी महंगी दरों पर सप्लाई का लाइसेंस दे दिया गया।
सीबीआई द्वारा 18 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने पर करन माहरा ने कहा, “यह स्पष्ट हो गया है कि दाल में काला ही नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार पर लगातार घोटाले का आरोप लगा रही थी, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम कर रही थी, लेकिन सीबीआई ने जिस तरह 18 अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया है, उससे साफ नजर आ रहा है कि नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है।
करन माहरा ने यह भी कहा कि कुछ सफेदपोश नेता भी घोटाले में लिप्त हैं और उनकी भी गहनता से जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में विभाग, मंत्रालय और स्वयं मंत्री भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त हैं और राज्य सरकार घोटालेबाजों को लगातार संरक्षण देने का काम कर रही है। करन माहरा ने नैतिकता के आधार पर उद्यान मंत्री से इस्तीफा देने की मांग की है।
इस घोटाले के कारण राज्य की जनता में भारी रोष है और कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ मुखर है। अब देखना यह होगा कि इस घोटाले की जांच और आगे किस दिशा में बढ़ती है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
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