
जोशीमठ, उत्तराखंड: एक शर्मनाक घटना में, उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक स्थित सुभाई चांचड़ी गांव में एक अनुसूचित जाति के युवक पर ग्राम पंचायत द्वारा जुर्माना लगाया गया क्योंकि उसने बैसाखी मेले के अवसर पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में ढोल नहीं बजाया था।
युवक बीमार था, फिर भी जुर्माना
सूत्रों के अनुसार, युवक, पुष्कर लाल, को बैसाखी मेले के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में ढोल बजाने के लिए नियुक्त किया गया था। हालांकि, बीमारी के कारण वह ऐसा नहीं कर पाया।
ग्राम पंचायत ने लगाया 5000 रुपये का जुर्माना
इस घटना से नाराज, गांव के कुछ सवर्णों ने पंचायत बुलाई और पुष्कर लाल पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना जमा करने के बावजूद, पुष्कर लाल को उसके अधिकारों से वंचित कर दिया गया और गांव के पानी के स्रोत तक पहुंचने से रोक दिया गया।
एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज
इस घटना के बाद, पुष्कर लाल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 28 सवर्णों के खिलाफ एससी-एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
पंचायत का बचाव
इस मामले में, सवर्ण ग्रामीणों का कहना है कि गांव में होने वाले मेले में शराब पीकर आने वाले लोगों को रोकने के लिए हर साल जुर्माना लगाया जाता है। उनका दावा है कि पुष्कर लाल पर भी नियमों का उल्लंघन करने के लिए जुर्माना लगाया गया था, न कि जातिगत भेदभाव के कारण।
यह घटना सामाजिक न्याय और समानता के लिए एक बड़ा झटका है। यह जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता की मानसिकता को दर्शाता है जो अभी भी ग्रामीण भारत में मौजूद है।
यह महत्वपूर्ण है कि इस तरह की घटनाओं की निंदा की जाए और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी ग्रामीण सवर्ण इस घटना में शामिल नहीं हैं। कई सवर्ण ग्रामीणों ने पुष्कर लाल का समर्थन किया है और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई है।
यह घटना हमें एकजुट होकर जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देती है।