
देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में एक बार फिर तबादलों का दौर शुरू हो गया है। हाल ही में जारी आदेश में 6 रेंजर्स की जिम्मेदारियों में फेरबदल किया गया है। हालांकि, सभी तबादलों में देहरादून रेंजर गंभीर सिंह का मामला सबसे ज्यादा चर्चा में है।
गंभीर सिंह को महज 7 महीने में ही दूसरी बार तबादला दिया गया है। उन्हें देहरादून से केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग भेजा गया है। इस तबादले के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी जल्दी-जल्दी तबादले क्यों किए जा रहे हैं? क्या इन तबादलों के पीछे कोई और कारण है?
इसके अलावा, देहरादून रेंजर के पद पर किसी नए अधिकारी को नहीं भेजा जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या यह अधूरा होमवर्क है?
यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड वन विभाग में तबादलों को लेकर सवाल उठाए गए हों। कुछ समय पहले ही राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के पद पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी जल्दी-जल्दी तबादले से प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो सकता है। साथ ही, यह कर्मचारियों में असुरक्षा का भाव पैदा कर सकता है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि इन तबादलों को प्रशासनिक कारणों से किया गया है। हालांकि, आम जनता और कर्मचारी संघ इन तबादलों को लेकर संतुष्ट नहीं हैं।
यह मामला: उत्तराखंड वन विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। यह भी दर्शाता है कि विभाग में अभी भी कई सुधार की जरूरत है।
आगे क्या होगा: यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले पर सरकार और विभाग क्या कार्रवाई करते हैं।