देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले चारधाम यात्रा के पैदल मार्गों को पुनर्जीवित करने का फैसला लिया है। इस योजना के माध्यम से राज्य में ट्रेकिंग टूरिज्म को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
शुक्रवार को तीर्थनगरी में पहुंचे पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उत्तराखंड की चारधाम पैदल यात्रा 5120 वर्ष पुरानी है। सरकार की इस पहल से मार्ग में पड़ने वाली चट्टियां, पड़ाव और अन्य ऐतिहासिक स्थल पुनर्जीवित होंगे। इससे देसी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और राज्य में पलायन की समस्या पर अंकुश लगेगा।
मंत्री महाराज ने बताया कि सरकार बदरीनाथ और केदारनाथ के बीच रावल ट्रेक, नीती माणा ट्रेक आदि को भी खोलने की योजना बना रही है। इसके साथ ही होम स्टे योजना को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके और पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति का अनुभव हो सके।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इससे राज्य का पर्यटन क्षेत्र और मजबूत होगा।
यह योजना राज्य के लिए क्यों महत्वपूर्ण है:
- धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: चारधाम यात्रा का प्राचीन पैदल मार्ग धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इसका पुनर्जीवन इस विरासत को संरक्षित करने में मदद करेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: इस योजना से राज्य में ट्रेकिंग टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- रोजगार के अवसर: होम स्टे योजना और अन्य पर्यटन संबंधी गतिविधियों से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
- पलायन को रोका जा सकेगा: रोजगार के अवसर बढ़ने से लोग अपने गांवों में ही रहना पसंद करेंगे और पलायन की समस्या कम होगी।