मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार, सचिव मुख्यमंत्री एवं गढ़वाल आयुक्त डॉ. विनय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में देवभूमि ठेकेदार कल्याण समिति उत्तराखण्ड के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में लोक निर्माण विभाग के विभिन्न अधिकारियों ने भी भाग लिया।
बैठक में समिति द्वारा प्रस्तुत 11 बिंदुओं के मांगपत्र पर विस्तृत चर्चा की गई, और ठेकेदार संघ ने एक अतिरिक्त बिंदु भी शामिल किया, जिससे कुल 15 बिंदुओं पर निर्णय लिए गए।
ठेकेदार संघ ने हड़ताल वापस लेने का ऐलान करते हुए बैठक में लिए गए निर्णयों का स्वागत किया। प्रमुख निर्णयों में शामिल हैं:
- निविदाओं का आकार: छोटे ठेकेदारों को अधिक कार्य उपलब्ध कराने के लिए फेज 1 और 2 के कार्यों को छोटे हिस्सों में विभाजित करने पर विचार किया जाएगा।
- निविदा की सीमा: संघ की मांग के अनुसार, सिंगल बिड की सीमा 1.5 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने पर सहमति हुई।
- पी.सी. कार्य: वनटाइम मेटिनेंस के तहत पी.सी. कार्य तभी किए जाएंगे जब जी-3 का कार्य भी शामिल होगा।
- लंबित भुगतान: आपदा एवं अनुरक्षण मद के तहत लंबित भुगतानों को प्राथमिकता पर निपटाने का निर्णय लिया गया।
- पंजीकरण प्रक्रिया: पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने पर सकारात्मक विचार किया जाएगा, और स्थायी टेक्निकल स्टाफ की अनिवार्यता समाप्त करने पर भी चर्चा की जाएगी।
- समयावृद्धि एवं भुगतान प्रक्रिया: ठेकेदारों की मांग के अनुसार समयावृद्धि और वेरीयेशन की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
- खनन सामग्री पर रॉयल्टी: खनन विभाग से उचित प्रतिपूर्ति के लिए प्रावधान किए जाएंगे।
- अनुभव की सीमा: ठेकेदारों के अनुभव की सीमा को 5 वर्ष से बढ़ाकर 10-15 वर्ष करने पर विचार किया जाएगा।
- आपदा कार्यों में बीमा कवरेज: आपदा कार्यों में लगी मशीनरी और श्रमिकों को बीमा कवरेज देने पर सहमति हुई।
- ठेकेदारों के लिए बैठने की व्यवस्था: प्रत्येक कार्यदायी खंड में ठेकेदारों के बैठने के लिए स्थान चिन्हित किया जाएगा।
- निविदा नियमावली: शासनादेश लागू होने के बाद निविदा बिलों में उक्त नियमावली को लागू करने पर सहमति बनी।
बैठक में लिए गए निर्णयों से राज्य के ठेकेदारों को राहत मिलेगी और उनके कार्यों को गति मिलेगी।