देहरादून: उत्तराखंड में कोविड-19 महामारी के दौरान पैरोल पर छोड़े गए 550 से अधिक कैदी अब तक जेल नहीं लौटे हैं। राज्य पुलिस इन फरार कैदियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान चला रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
साल 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान जेलों में कैदियों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए राज्य सरकार ने कई कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का फैसला लिया था। हालांकि, पैरोल की अवधि खत्म होने के बाद करीब 500 से अधिक कैदी जेल नहीं लौटे। इनमें से कई कैदी गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए थे।
पुलिस का अभियान:
फरार कैदियों को पकड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने प्रदेश के सभी 13 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं। पुलिस ने इन अपराधियों पर इनाम की घोषणा करने की भी तैयारी कर ली है। उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि फरार कैदियों में से 81 कैदियों को कोर्ट से जमानत मिली हुई थी, जबकि कुछ कैदियों को अंतरिम जमानत मिली हुई थी।
चिंता बढ़ रही:
पुलिस पिछले कई महीनों से फरार कैदियों को खोज रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। समय के साथ इन कैदियों को पकड़ना और अधिक मुश्किल होता जा रहा है।
सवाल:
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों इतने बड़े पैमाने पर कैदी फरार हो गए और उन्हें कैसे पकड़ा जाए? क्या जेल प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने इन कैदियों की निगरानी के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- कोविड-19 महामारी: महामारी के दौरान पैरोल पर छोड़े गए कैदियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई, जिससे उनकी निगरानी करना मुश्किल हो गया।
- पुलिस की कमजोरी: पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति नहीं है, जिसके कारण फरार कैदियों को पकड़ने में देरी हो रही है।
- राजनीतिक दखल: कुछ मामलों में राजनीतिक दखल के कारण भी कैदी फरार हो जाते हैं।
यह मामला राज्य की कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।