जोशीमठ: देवभूमि उत्तराखंड को देवभूमि के साथ वीरभूमि से भी जाना जाता है , आए दिन हम अख़बारों में भी उत्तराखंड के वीर जवानों की शौर्य गाथाएं और माँ भारती के लिए सर्वोच्च बलिदान की बड़ी ख़बरें आए दिन अख़बारों की हेडलाइन्स में देखते हैं। उत्तराखंड के पहाड़ों में शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिस परिवार का बेटा सेना में न हो, संभवतः यही वजह है उत्तराखंड को देवभूमि के साथ सात वीर भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
इन दिनों जोशीमठ का जोंज गाँव मीडिया की सुर्ख़ीयों में बना हुआ है दरअसल जब जोंज गाँव के सेना के एक अधिकारी रिटायर्ड होकर वापस गाँव आए तो गाँव में जश्न का माहौल बन गया, गाँव के लोगों ने उनका स्वागत फूल मालाओं से करा इसके साथ ही गाँव की महिलाओं ने पुराने पहाड़ी परिधानों को पहन कर लोक भाषाओं में अधिकारी के सम्मान में लोक गीत भी गाए।
भारतीय सेना में 24 वर्षों की सेवा के बाद जब नायब सूबेदार रमेश सिंह रावत सेवानिवृत्ति होकर अपने ग्राम जोंज के करछो पहुँचें तो ग्रामीणों ने उनका ढोल दमों की थाप पर ज़ोरदार स्वागत किया ।इस अवसर पर आयोजित समारोह में क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति, पूर्व सैनिक, जनप्रतिनिधि और ग्रामवासी शामिल हुए।
कार्यक्रम में उत्तराखंड संनिर्माण एवं कर्मकार बोर्ड के सदस्य कृष्णमणी थपलियाल, पीसीसी सदस्य कमल रतूड़ी, सेवानिवृत बीईओ धूम सिंह राणा, ओम प्रकाश डोभाल, निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष जोशीमठ सेलेन्द्र पंवार सहित कई अन्य गणमान्य लोगों ने श्री रावत को सम्मानित किया।
जबकि को-ऑर्डिनेटर सूबेदार (सेवानिवृत्त) भगवती प्रसाद थपलियाल ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने के लिए सभी शुभचिंतकों और ग्रामवासियों का आभार व्यक्त किया।
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