देहरादून, 3 नवंबर: उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने कार्बेट पार्क में कैमरा ट्रैप द्वारा स्थानीय महिलाओं की निजता हनन के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस मामले में वन विभाग के प्रधान प्रमुख वन संरक्षक को जांच के निर्देश दिए हैं।
एक शोधकर्ता के दावे के अनुसार, कार्बेट पार्क में बाघों की सुरक्षा के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी से स्थानीय महिलाओं की निजता का हनन हो रहा है। एक स्थानीय महिला ने आरोप लगाया है कि 2017 में वन विभाग के एक कर्मचारी ने कैमरा ट्रैप से उसकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी थी।
कुसुम कंडवाल ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वन क्षेत्र के निकट रहने वाली स्थानीय महिलाओं की निजता का हनन और उनके अधिकारों की रक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में दोषी कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और जांच रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराई जाए।
क्या कहता है शोध? कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता के अनुसार, इस क्षेत्र में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि कैमरा ट्रैप और ड्रोन के कारण महिलाएं खुले में बातचीत करने से कतराती हैं। शोधकर्ता का दावा है कि इस तरह की निगरानी से स्थानीय लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
वन विभाग पर सवाल यह मामला वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। क्या वन्यजीवों की सुरक्षा के नाम पर स्थानीय लोगों की निजता का हनन करना उचित है? इस सवाल का जवाब वन विभाग को देना होगा।