देहरादून: उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने विवाह से पूर्व काउंसलिंग के महत्व को लगातार रेखांकित किया है और इस दिशा में कई जागरूकता अभियान चलाए हैं। इसी क्रम में एक महिला पत्रकार ने राज्य महिला आयोग में एक अनूठी पहल करते हुए अपने विवाह से पूर्व काउंसलिंग के लिए आवेदन दिया।
आयोग ने इस पहल का स्वागत करते हुए दोनों पक्षों को आयोग में बुलाकर काउंसलिंग सत्र आयोजित किया। युवती अंजलि पासवान, जो पेशे से पत्रकार हैं, और युवक राकेश यादव, जो एक शिक्षक हैं, ने आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल और उनकी टीम के समक्ष अपनी बात रखी।
आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस जोड़े के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि विवाह से पूर्व काउंसलिंग आज के समय में एक स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने दोनों को समझाया कि किस तरह वे एक-दूसरे के विचारों को समझें और भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करें।
महिला आयोग की अध्यक्ष ने की अपील
कुसुम कंडवाल ने सभी से अपील की है कि विवाह करने वाले जोड़े को महिला आयोग में आकर विवाह से पूर्व काउंसलिंग जरूर करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह काउंसलिंग वैवाहिक रिश्तों को मजबूत बनाने और पारिवारिक तनाव को कम करने में मददगार साबित हो सकती है।
विवाह से पूर्व काउंसलिंग क्यों जरूरी?
विवाह से पूर्व काउंसलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जोड़े को शादी के बारे में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने और एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने का मौका मिलता है। यह काउंसलिंग जोड़े को भविष्य के लिए तैयार करती है और उन्हें संभावित समस्याओं से निपटने के लिए तैयार करती है।
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