हर्षिल घाटी, उत्तराखंड में स्थित एक छोटी सी पहाड़ी बस्ती, इस समय गंभीर जल संकट का सामना कर रही है। घाटी के जल स्रोत सूखने से यहां के लोग अपने दैनिक जीवन के लिए पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय निवासी अब अपनी प्यास बुझाने के लिए छतों से पिघल रही बर्फ का पानी जमा करके उसका उपयोग कर रहे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर इस क्षेत्र के लोग कई वर्षों से बर्फबारी और वर्षा पर निर्भर करते आए हैं, लेकिन इस बार बर्फबारी की कमी और जल स्रोतों के सूखने से स्थिति विकट हो गई है। पहाड़ी इलाकों में पानी की कमी की यह समस्या केवल हर्षिल घाटी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आसपास के अन्य इलाकों में भी जल संकट गहराता जा रहा है।
वहीं, मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष बर्फबारी कम होने के कारण पानी की उपलब्धता घट गई है, और इस कारण नदियां और जल स्रोत सूखने लगे हैं। इन संकटों का सामना करते हुए, हर्षिल घाटी के लोग दिन-प्रतिदिन अपने पानी के स्रोतों को सुरक्षित रखने के लिए नए उपायों की तलाश कर रहे हैं।
इस संकट से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन और सरकार को जल आपूर्ति के वैकल्पिक उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है। फिलहाल, लोग बर्फ के पानी को छतों से इकट्ठा कर उसे पिघलाकर पी रहे हैं, लेकिन यह समाधान अस्थायी है।
स्थानीय निवासी कहते हैं, “पानी की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित हमारे बच्चे और बुजुर्ग हैं। बर्फ पिघलाने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा।”