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लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता गोविंद सिंह कौंडल को मिला देवभूमि राष्ट्रीय रत्न पुरस्कार

देहरादून, 5 जुलाई 2025 – लोक निर्माण विभाग (PWD) में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत गोविंद सिंह कौंडल को पब्लिक सर्विस और सोशल वेलफेयर के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित देवभूमि राष्ट्रीय रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) देहरादून और इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिफॉर्म्स एंड हायर एजुकेशन (उत्तर प्रदेश) द्वारा देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया गया।
उत्तराखंड के वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए सभी अवार्डियों को बधाई दी और उन्हें अधिक जिम्मेदारी से काम करने का आह्वान किया। द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के अध्यक्ष ने अपनी 1920 में स्थापित पुरानी संस्था के कार्यों की विस्तृत जानकारी मंच और सभागार को दी। कई वक्ताओं ने इंजीनियरिंग पर चर्चा की। पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रो-चांसलर डॉ. सतेंद्र मित्तल ने आपदा चिकित्सा सहित विश्वविद्यालय के राष्ट्र हित कार्यों पर प्रकाश डाला। पुरस्कार प्राप्त करने पर सभी अवॉर्डी अत्यंत प्रसन्न थे। कौंडल ने अपनी पच्चीस वर्षों की सेवा और समाज सेवा कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
डॉ. गोविंद सिंह कौंडल: एक परिचय
उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड देहरादून में कार्यरत सहायक अभियंता और समाज सेवा के क्षेत्र में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत डॉ. गोविंद सिंह कौंडल का जन्म 14 जुलाई 1978 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) के देहरादून जिले के पर्वतीय क्षेत्र जौनसार के अंतर्गत ग्राम रामपुर सरना, पोस्ट ऑफिस खबऊ, खत-तपलाड, तहसील चकराता में हुआ था। उनके पिता, सरदार सिंह, गांव में खेती करने वाले किसान के साथ-साथ पंचायत में जनप्रतिनिधि भी रहे हैं। उनकी माता, शकुंतला देवी, गृहणी हैं।
कौंडल की प्रारंभिक शिक्षा जनपद उत्तरकाशी के डामटा नामक स्थान से हुई। उन्होंने राष्ट्रीय इंटर कॉलेज, डामटा से वर्ष 1993 में प्रथम श्रेणी में हाई स्कूल और वर्ष 1995 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद, उन्होंने उत्तरकाशी से वर्ष 1999 में प्रथम श्रेणी में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया।
जनवरी 2000 से, कौंडल ने एक गैर-सरकारी संस्था के साथ जुड़कर स्वजल परियोजना में काम किया। जून 2001 से, उन्होंने नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन में अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जनपद के दापोरिजो से अपनी सेवा शुरू की। लगभग 3 वर्षों की सरकारी सेवाओं के साथ, उन्होंने वहां के जनजातीय समाज की कई समस्याओं को हल करते हुए उनकी सेवा की। सितंबर 2004 से, उन्होंने उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग में योगदान दिया है और वर्तमान तक विभाग में 20 वर्ष से अधिक की सेवा पूरी कर चुके हैं। वर्ष 2013 में, उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया।
समाज सेवा और विभागीय योगदान
विभागीय सेवा के साथ-साथ कौंडल समाज सेवा के कार्यों में भी निरंतर लगे हुए हैं। वह कई ट्रस्टों के माध्यम से छोटी चैरिटी वर्तमान तक कर रहे हैं। केदारनाथ आपदा के बाद, उन्होंने ट्रस्ट के माध्यम से मातृ-पितृ विहीन बेटियों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की है। जिला विकास प्राधिकरण पौड़ी में सेवा के दौरान, उन्होंने भवन मानचित्र स्वीकृत करवाने वाले आर्थिक रूप से कमजोर आवेदकों को मानचित्र स्वीकृति की फीस हेतु आर्थिक सहयोग भी किया। जिला विकास प्राधिकरण में अपने विभागीय कार्यों के साथ सफल, सराहनीय और उत्कृष्ट कार्य संपादन हेतु उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया गया।
देहरादून के डी.ए.वी. कॉलेज में छात्रों के छात्रावास, कंडोली में लाइब्रेरी हेतु उन्होंने सहयोग किया। इस छात्रावास में रहकर कई गरीब छात्र उच्च शिक्षा हेतु अध्ययनरत हैं। मल्ली गांव पौड़ी के 74 वर्षीय बुजुर्ग की आंखों और अन्य स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिए भी उन्होंने आर्थिक सहयोग किया।
कोरोना काल में सरकार द्वारा जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणा हुई और 25 मार्च 2020 से देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया। इस दौरान उन्होंने पूर्ण समर्पण के साथ समाज सेवा की। वाहन न चलने के कारण ओला ड्राइवरों की आर्थिक स्थिति अन्य सभी की भांति कमजोर हो गई थी, जिसमें उन्होंने उनकी आर्थिक मदद की। सामाजिक कार्यकर्ता पौड़ी गढ़वाल को कई किट राशन वितरण हेतु दिए गए। ‘सेव-द-चिल्ड्रन्स’ संस्था को उनके द्वारा किए जा रहे परमार्थ कार्य हेतु सहयोग किया गया। फेडरेशन के तत्वावधान में महाकाल सेना पौड़ी को कोट ब्लॉक में जरूरतमंदों के लिए दी जा रही राशन सामग्री के कई किट प्रदान किए गए। प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष, लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड, देहरादून द्वारा महत्वपूर्ण एवं विशिष्ट कार्यों को कठिन परिश्रम, लगन एवं दक्षता से करने हेतु उन्हें चार बार प्रशंसा पत्र दिए गए हैं। भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर जयंती कार्यक्रम पौड़ी में प्रादेशिक शिल्पकार कल्याण समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में उन्होंने विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य अतिथि के रूप में कई बार प्रतिभाग किया।
हालिया सम्मान और उपलब्धियां
दिसंबर 2023 में उत्तराखंड में आयोजित वैश्विक निवेश सम्मेलन (ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023) में मार्गों का सुदृढ़ीकरण और सुधारीकरण कर उच्च गुणवत्ता वाली राइडिंग हेतु तैयार करने का उन्हें भी सौभाग्य प्राप्त है, जिस हेतु उन्हें 26 जनवरी 2024 को गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर सम्मानित किया जा चुका है। इसी प्रकार की उनकी सेवाओं तथा सर्वसमाज की सेवाओं को संज्ञान में लेते हुए मथुरा वृंदावन में 27 दिसंबर 2024 को उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई है। उत्तराखंड राज्य में हुए 38वें राष्ट्रीय खेल महोत्सव 2025 में उनको कठिन परिश्रम, लगन एवं दक्षता से कार्य करने पर प्रशंसा पत्र दिए गए हैं। कर्मचारी संगठनों में वर्षों से वह जनपद, मंडल एवं प्रांत के कई पदों को सुशोभित कर चुके हैं तथा विभागीय सेवा के साथ-साथ आज भी समाज सेवा के छोटे-बड़े कार्यों में अनवरत लगे हुए हैं।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुबोध उनियाल, वन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री, ई नरेंद्र सिंह पूर्व अध्यक्ष द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), ई एच के उप्रेती सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष लोक निर्माण विभाग, डॉ अतुल कुमार शर्मा, संयोजक प्रेसिडेंट ISRHE, डॉ सतेंद्र मित्तल, प्रो-चांसलर, पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार, अनुराग गुप्ता, ई सतीश कुमार चौहान सचिव द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), महातव यादव (आई.एफ.एस.) डिप्टी डायरेक्टर राजा जी पार्क, पूरे देश से आए हुए अवॉर्डी एवं उनके परिजन उपस्थित रहे।

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