
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पास धुलकोट में स्थित ग्राफिक एरा अस्पताल ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने हार्मोनल कुशिंग डिजीज के दो अत्यंत जटिल मामलों का सफलतापूर्वक इलाज किया है, जिसमें मरीजों को बिना मस्तिष्क खोले ही नया जीवनदान दिया गया है। यह उपलब्धि न केवल ग्राफिक एरा अस्पताल, बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है, जो राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के उच्च मानकों को दर्शाती है।
चुनौतीपूर्ण बीमारी: कुशिंग डिजीज
हार्मोनल कुशिंग डिजीज, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एसीटीएच डिपेंडेंट कुशिंग सिंड्रोम पिट्यूटरी माइक्रोएडेनोमा के नाम से जाना जाता है, एक दुर्लभ और जटिल एंडोक्राइनल विकार है। इस बीमारी में, शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का उत्पादन अत्यधिक मात्रा में होने लगता है। सामान्य तौर पर, कोर्टिसोल शरीर को तनाव से निपटने में मदद करता है, लेकिन इसकी अधिकता गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। इनमें वजन बढ़ना, चेहरे का गोल हो जाना (मून फेस), उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मांसपेशियों की कमजोरी, और हड्डियों का कमजोर होना शामिल है। यदि इसका समय पर इलाज न हो तो यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। इस बीमारी का सबसे आम कारण मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि में एक छोटे, सौम्य ट्यूमर (माइक्रोएडेनोमा) का होना है, जो हार्मोन का अतिरिक्त उत्पादन करता है।

अत्याधुनिक चिकित्सा और सर्जिकल कौशल का संगम
ग्राफिक एरा अस्पताल में इन दो जटिल मामलों में से एक 27 वर्षीय महिला थी, जो इस गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। इस तरह के मामलों में पारंपरिक रूप से ओपन ब्रेन सर्जरी की जाती है, जो अत्यंत जोखिमपूर्ण होती है और इसमें रिकवरी का समय भी लंबा होता है। लेकिन, ग्राफिक एरा अस्पताल की टीम ने एक अलग दृष्टिकोण अपनाया। अस्पताल के न्यूरोसाइंस और न्यूरोसर्जरी विभाग के हेड डॉ. पार्थ पी. विष्णु और एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. सुनील कुमार मिश्रा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने एक समन्वित और अभिनव उपचार योजना तैयार की।
डॉक्टरों ने ट्रांसस्फेनॉइडल एंडोस्कोपिक सर्जरी (Transsphenoidal Endoscopic Surgery) नामक एक अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया। इस प्रक्रिया में, सर्जन नाक के माध्यम से एक छोटे से एंडोस्कोप का उपयोग करते हैं, जिससे वे पिट्यूटरी ग्रंथि तक पहुंच पाते हैं। इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सिर में कोई बड़ा चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे मस्तिष्क की नाजुक संरचनाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह प्रक्रिया कम आक्रामक होती है, जिससे संक्रमण का जोखिम कम होता है, रक्तस्राव न्यूनतम होता है और रोगी की रिकवरी बहुत तेजी से होती है।

डॉ. पार्थ पी. विष्णु ने इस सर्जरी के बारे में बताते हुए कहा, “कुशिंग डिजीज का इलाज बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसमें पिट्यूटरी ट्यूमर अक्सर बहुत छोटा होता है और इसे पहचानना तथा पूरी तरह से निकालना मुश्किल होता है। हमारी टीम ने आधुनिक इमेजिंग और न्यूरो-नेविगेशन तकनीकों का उपयोग किया, जिससे हमें ट्यूमर की सटीक स्थिति का पता लगाने में मदद मिली। इसके बाद, हमने एंडोस्कोपिक विधि से इसे सफलतापूर्वक निकाल दिया। यह सर्जरी इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि हमने रोगी के जीवन की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए कम से कम जोखिम के साथ इलाज किया।”
डॉ. सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि, “इन मरीजों में हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए सर्जरी के बाद भी गहन एंडोक्रिनोलॉजिकल प्रबंधन की आवश्यकता होती है। हमने सर्जरी के बाद मरीजों की हार्मोनल स्थिति की बारीकी से निगरानी की और उन्हें आवश्यक दवाएं दीं, ताकि उनके शरीर में हार्मोन का स्तर सामान्य हो सके। दोनों ही मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। इस सफलता से यह साबित होता है कि ग्राफिक एरा अस्पताल में मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम वर्क और अत्याधुनिक तकनीक का शानदार संगम है।”
ग्राफिक एरा: उत्तराखंड में स्वास्थ्य क्रांति का अग्रदूत
ग्राफिक एरा अस्पताल की यह सफलता केवल एक चिकित्सा उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह इस संस्थान के मिशन का प्रमाण है कि वह राज्य के लोगों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जिसके तहत यह अस्पताल संचालित होता है, नवीनतम तकनीकों और भारत के बेहतरीन चिकित्सा विशेषज्ञों को एक छत के नीचे लाने का प्रयास कर रहा है।
अस्पताल में कैंसर के इलाज के लिए अत्याधुनिक रेडियोथेरेपी मशीन, कार्डिएक सर्जरी के लिए हाइब्रिड कैथ लैब, और रोबोटिक सर्जरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो इसे उत्तर भारत के अग्रणी चिकित्सा संस्थानों में से एक बनाती हैं। इन सुविधाओं के कारण उत्तराखंड के लोगों को अब गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दिल्ली या अन्य बड़े शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ता।
इस सफलताओं के पीछे अस्पताल के कुशल प्रबंधन और डॉक्टरों, नर्सों और सहायक कर्मचारियों की समर्पित टीम का बड़ा हाथ है। मरीजों के प्रति उनका मानवीय और संवेदनशील दृष्टिकोण, अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों के साथ मिलकर, ग्राफिक एरा को एक ऐसा संस्थान बनाता है जहां लोग न केवल इलाज बल्कि उम्मीद भी पाते हैं।
राज्य की जनता को मिल रहा है लाभ
ग्राफिक एरा अस्पताल की इन सफलताओं से उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं का स्तर काफी बेहतर हुआ है। राज्य सरकार और निजी संस्थानों के सहयोग से स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे सुधारों का सीधा लाभ यहां की जनता को मिल रहा है। दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को भी अब अपने घर के पास ही विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं मिल पा रही हैं, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बच रहा है।
यह उपलब्धि दर्शाती है कि ग्राफिक एरा अस्पताल केवल एक व्यावसायिक संस्थान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र है जो अनुसंधान, नवाचार और उत्कृष्ट रोगी देखभाल को बढ़ावा देता है। हार्मोनल कुशिंग डिजीज के इन सफल मामलों ने यह साबित कर दिया है कि ग्राफिक एरा अस्पताल वास्तव में जीवन बचाने और स्वास्थ्य क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
